- अमृतसर - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
गुरु अर्जुन देव सिख सम्प्रदाय के पांचवें की शहादत के दिन को गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस मनाया जाता है। इस साल हम 418वीं शहादत वर्षगांठ मना रहे हैं। वे 16 जून 1606 को शहीद हुए थे। लेकिन हम आपको यहाँ बताना चाहते हैं कि, हर साल जेठ सुदी 4 को गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस मनाया जाता है, और इस साल गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस 2024 मे 10 जून को मनाया जाएगा। उनका त्याग और बलिदान सिख समुदाय के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, और यह दिन सिख संप्रदाय के सदस्यों को अपने आदर्शों और मूल्यों को याद दिलाता है।
गुरु अर्जुन देव जी का इतिहास, कौन थे गुरु अर्जुनदेव?
शहीद गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवें गुरु थे। उनका जन्म 15 एप्रिल 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु राम दास था, जो सिख संप्रदाय के चौथे गुरु थे। गुरु अर्जुन देवजी की मां का नाम बीवी भानी जी था
गुरु रामदास जी के बाद, गुरु अर्जुन देव गुरु गद्दी पर बैठ गए। उन्होंने सिख संप्रदाय को घर-घर पहुंचाने के प्रयास किए। उनका प्रमुख ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, आज भी सिख संप्रदाय के श्रेष्ठ ग्रंथों में माना जाता है। उन्होंने लगभग 2000 से अधिक भजन लिखे, जो आज भी सिखों में प्रचलित हैं। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर उन्हें ही देखा जाता है। यह कहा जाता है कि स्वर्ण मंदिर का नक्शा उन्हीं के हाथों से बनवाया गया था।
गुरु अर्जुन देव कैसे शहीद हुये?
ऐसा कहा जाता है कि सिख संप्रदाय का प्रचार और प्रसार घर-घर तक पहुंचाने का काम गुरु अर्जुन कर रहे थे। उन दिनों मुघल सल्तनत पूरे हिंदुस्थान पर हुकुमत कर रही थी। जों शरण आयेगा उसे बक्ष दिया जाता था, और जों शरण नहीं आता था उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था। गुरु अर्जुन देव जी का नाम सभी जगह गूंज रहा था।
तब मुघल बादशाह जहांगीर दिल्ली के राज गद्दी पर बैठकर मुघल सल्तनत चला रहा था। गुरु अर्जुन देवजी के नाम की चर्चा सभी जगह हो रही थी, जहांगीर को लगा सिख संप्रदाय इस्लाम के विरुद्ध है और यह हमें महंगा पड़ेगा ऐसा सोचते हुए। गुरु अर्जुन देव जी को उसने गिरफ्तार कर दिया और बादशाह ने उनकी मृत्यु का फरमान निकाला।
फांसी की सजा देने से पहले उनपर तरह-तरह के अत्याचार किए गए। लगातार पांच दिन दर्दनाक यातनाएं देने के बाद अंत में उन्हें जिंदा अपने धर्म के प्रति आस्था रखकर धर्म के खातिर जान न्योछावर करने वाले वे पहले सिख शहीद गुरु थे।
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस कैसे मनाया जाता है?
सिख सम्प्रदाय के पांचवें गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस हमारे सिख भाई अलग-अलग तरीके से मनाते है। इसके बारे मे नीचे हमने विस्तार से दिया है।
इस दिन सिख सम्प्रदाय की तरफ से हर गुरुद्वारा में आने वाले लोगों के लिए लंगर का आयोजन किया जाता है।
हर साल सिख तीर्थयात्रीओं का जथा डेहरा साहिब के गुरु द्वारे में जाता है, जो कि पाकिस्तान के लाहौर में स्थित है।
इस दिन गुरुद्वारे में गुरु अर्जुन देव रचित भजन गाए जाते हैं।
गुरु अर्जुन देवजी ने दी हुई सिख धर्म के लिए जीवन बहाल करना और समाज में शांति और सद्भाव प्रस्थापित करने की प्रेरणा ली जाती है।
सारांश
आज हमने इस लेख में गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख हमने इतिहास का सहारा लेकर तैयार किया है। अगर इसमें कोई त्रुटि होगी तो कृपया हमें मेल द्वारा बता सकते हैं। हमने दी गई जानकारी आपको सही लगी हो तो । इतिहास के बारे में और जानकारी चाहिए तो आप हमसे व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं। लेख पसंद आया हो तो शेयर करना ना भूलें…!
महत्व, इतिहास, और सिख संप्रदाय के पांचवें गुरु के बारे में सब कुछ यहाँ जानें!
सिख सम्प्रदाय के पांचवें गुरु अर्जुन देव की शहादत के दिन को गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस मनाया जाता है। इस साल हम 418वीं शहादत वर्षगांठ मना रहे हैं। वे 16 जून 1606 को शहीद हुए थे। लेकिन हम आपको यहाँ बताना चाहते हैं कि, हर साल जेठ सुदी 4 को गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस मनाया जाता है, और इस साल गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस 2024 मे 10 जून को मनाया जाएगा। उनका त्याग और बलिदान सिख समुदाय के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, और यह दिन सिख संप्रदाय के सदस्यों को अपने आदर्शों और मूल्यों को याद दिलाता है।
गुरु अर्जुन देव जी का इतिहास, कौन थे गुरु अर्जुनदेव?
गुरु अर्जुन देव कैसे शहीद हुये?
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस कैसे मनाया जाता है?
सारांश
शहीद होने वाले पहले सिख गुरु कौन थे?
गुरु अर्जन देव की मृत्यु कैसे हुई थी?
मुगलों को सिखों से नफरत क्यों थी?
गुरु अर्जन को क्यों मौत के घाट उतारा?
गुरु अर्जुन देव जी का इतिहास, कौन थे गुरु अर्जुनदेव?
शहीद गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवें गुरु थे। उनका जन्म 15 एप्रिल 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु राम दास था, जो सिख संप्रदाय के चौथे गुरु थे। गुरु अर्जुन देवजी की मां का नाम बीवी भानी जी था।
गुरु रामदास जी के बाद, गुरु अर्जुन देव गुरु गद्दी पर बैठ गए। उन्होंने सिख संप्रदाय को घर-घर पहुंचाने के प्रयास किए। उनका प्रमुख ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब, आज भी सिख संप्रदाय के श्रेष्ठ ग्रंथों में माना जाता है। उन्होंने लगभग 2000 से अधिक भजन लिखे, जो आज भी सिखों में प्रचलित हैं। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर उन्हें ही देखा जाता है। यह कहा जाता है कि स्वर्ण मंदिर का नक्शा उन्हीं के हाथों से बनवाया गया था।
गुरु अर्जुन देव कैसे शहीद हुये?
ऐसा कहा जाता है कि सिख संप्रदाय का प्रचार और प्रसार घर-घर तक पहुंचाने का काम गुरु अर्जुन कर रहे थे। उन दिनों मुघल सल्तनत पूरे हिंदुस्थान पर हुकुमत कर रही थी। जों शरण आयेगा उसे बक्ष दिया जाता था, और जों शरण नहीं आता था उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था। गुरु अर्जुन देव जी का नाम सभी जगह गूंज रहा था।
तब मुघल बादशाह जहांगीर दिल्ली के राज गद्दी पर बैठकर मुघल सल्तनत चला रहा था। गुरु अर्जुन देवजी के नाम की चर्चा सभी जगह हो रही थी, जहांगीर को लगा सिख संप्रदाय इस्लाम के विरुद्ध है और यह हमें महंगा पड़ेगा ऐसा सोचते हुए। गुरु अर्जुन देव जी को उसने गिरफ्तार कर दिया और बादशाह ने उनकी मृत्यु का फरमान निकाला। लेकिन उसदौर मेभी ऐसें लोग हुवा करते थे मुगल प्रशासन चला रहे बादशाहो गल्त फ्यामिली से कान भरा करते थे कही मामलो मे शा निशा ना होते कारवाई को अंजाम देत्ते थे
फांसी की सजा देने से पहले उनपर तरह-तरह के अत्याचार किए गए। लगातार पांच दिन दर्दनाक यातनाएं देने के बाद अंत में उन्हें मुत्ये दंड दिया गया। अपने धर्म के प्रति आस्था रखकर धर्म के खातिर जान न्योछावर करने वाले वे पहले सिख शहीद गुरु थे।
गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस कैसे मनाया जाता है?
सिख सम्प्रदाय के पांचवें गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस हमारे सिख भाई अलग-अलग तरीके से मनाते है। इसके बारे मे नीचे हमने विस्तार से दिया है।
इस दिन सिख सम्प्रदाय की तरफ से हर गुरुद्वारा में आने वाले लोगों के लिए लंगर का आयोजन किया जाता है।
हर साल सिख तीर्थयात्रीओं का जथा डेहरा साहिब के गुरु द्वारे में जाता है, जो कि पाकिस्तान के लाहौर में स्थित है।
इस दिन गुरुद्वारे में गुरु अर्जुन देव रचित भजन गाए जाते हैं।
गुरु अर्जुन देवजी ने दी हुई सिख धर्म के लिए जीवन बहाल करना और समाज में शांति और सद्भाव प्रस्थापित करने की प्रेरणा ली जाती है।
सारांश
आज हमने इस लेख में गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। यह लेख हमने इतिहास का सहारा लेकर तैयार किया है। अगर इसमें कोई त्रुटि होगी तो कृपया हमें मेल द्वारा बता सकते | इतिहास के बारे में और जानकारी चाहिए तो आप हमसे व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
शहीद होने वाले पहले सिख गुरु कौन थे?
शहीद होने वाले पहले सिख गुरु थे गुरु अर्जुन देव जी।
गुरु अर्जन देव की मृत्यु कैसे हुई थी?
गुरु अर्जुन देव जी की मृत्यु 30 मई 1606 को हुई थी। मृत्यू दंड दिया गया था। इससे पहले,ऐसा भी बताया जाता उन्हपर बहुत सारे अत्याचार किये गये।
मुगलों को सिखों से नफरत क्यों थी ?
मुग़लों और सिखों के बीच नफरत के कारण धार्मिक और सामाजिक विभिन्नताएं थीं। मुग़ल सल्तनत मुस्लिम थी जबकि जितने भी मोगल प्रशासन बादशहाव को इस्लाम कि किताबो ग्रंथावो मे लेखा जोखा स्पष्टरूप से स्मरण मालूम मजहब किसे ठीक से समजाओ अगर वह धर्म परिवर्तन ख़ुशी से रजि करे ठीक हैं किसी को जोर जबरजस्ती का प्रयास ना करो और हम दया प्यार से लागावं रखते यह संदेश मजहब कि मिठी खुशबू द्वारा ऐसे फैलाओ ताके कोई भी व्यक्ती असानिसे मजहब स्वीकार करे लेकिन चित्र ऊस दौर मे कैसे व्यापक घटनाये होती यह अनुमान लगाणा शायद कठीण था सिख धर्म नए तत्वों के साथ विकसित हो रहा था। इसके अलावा, सिखों की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई और मुग़ल सत्ताधारियों की सत्ता की चुनौती भी थी।
गुरु अर्जन को क्यों मौत के घाट उतारा?
गुरु अर्जुन देव को मौत के घाट उतारा गया क्योंकि मुग़ल बादशाह जहांगीर को लगा कि सिख समुदाय उसके शासन के खिलाफ है और उसे इससे खतरा महसूस हुआ। इसके अलावा, धार्मिक और सामाजिक विवादों के कारण भी उन्हें गिरफ्तार करदिया था...
=================================
-----------------------------------------------
लेखक - भगवंत सिंग बतरा . ✍️✅🇮🇳...
:- राज प्रसारित Blog Spot.Com Sociel mediya Google Network 💐✅🇮🇳...
Mobile +919730595775...+918806490555...±918623897820...
-----------------------------------------------
=================================