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Wednesday, May 1, 2024

मणिपुर चक्र संतुलन की आवश्यकता*लेखिका गरिमा सिंह,अजमेर (राजस्थान)


मणिपुर चक्र संतुलन की आवश्यकता
लेखिका गरिमा सिंह,अजमेर (राजस्थान)
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 नैतिक व्यवहार की सहज भावना देता है। यह केंद्र हमें जीवन से संतुष्टि का भाव और दूसरों के साथ साझा करने के आनंद को महसूस करने की क्षमता भी देता है।यह आध्यात्मिक रूप से हमारी मानवीय जागरूकता में दैवीय जागरूकता से अंतर का प्रतीक है और हमारे भीतर महारत के सिद्धांत का प्रतीक है। सहज योग में हम अपनी सूक्ष्म प्रणाली की प्रबुद्ध आध्यात्मिक जागरूकता के आधार पर अपने गुरु बनने की क्षमता विकसित करते हैं, जिसे हम अपने शरीर के भीतर और अपनी उंगलियों पर महसूस करते हैं।

जगह:

हमारा मणिपुर चक्र हमारी रीढ़ के भीतर स्थित है, हमारी नाभि के लगभग समानांतर। भौतिक स्तर पर यह सौर जाल की गतिविधियों को प्रभावित करता है। मणिपुर चक्र के चैतन्य को दोनों हाथों की मध्यमा उंगलियों में महसूस किया जा सकता है। हमारे पेट के अंगों (पेट, यकृत, गुर्दे और आंत) का कार्य भवसागर के साथ-साथ नाभि और स्वाधिष्ठान चक्रों द्वारा नियंत्रित होता है। ये तीनो सूक्ष्म केंद्र हमारे शरीर में एक सामंजस्यपूर्ण शारीरिक वातावरण सुनिश्चित करने में एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करते हैं।

रंग:

मणिपुर चक्र को हरे रंग से दर्शाया जाता है। 

मणिपुर चक्र गुणों में शामिल हैं:

उदारता
पोषण
संतोष
शांति
हर्ष
संतुलन
धार्मिकता 
ईमानदारी
शुद्ध ध्यान
गौरव
विकास 

मणिपुर चक्र कई मौलिक गुण प्रदान करता है, जिसमें उदारता और विकसित होने की क्षमता शामिल है। यह हमारे मणिपुर चक्र के माध्यम से ही है कि हम अपने लक्ष्यों को विकसित करने, सुधारने और प्राप्त करने की इच्छा का अनुभव करते हैं। यह भोजन और पानी की मूलभूत खोज से लेकर शांति और आध्यात्मिकता की हमारी खोज तक, हमारे जीवन के भीतर हर "खोज" की क्रिया को प्रभावित करता है। इस चक्र के कारण, हम जीवन के उच्च स्तर तक उत्तरोत्तर विकसित होने की क्षमता रखते हैं।

मणिपुर चक्र का एक अन्य प्रमुख गुण संतोष है। यह हमारे नाभि चक्र के माध्यम से है कि हम अपने जीवन के सभी क्षेत्रों के बीच एक आदर्श संतुलन स्थापित करने में सक्षम हैं। श्री माताजी ने खुलासा किया कि देखभाल, पालन-पोषण और स्नेह के गुण प्रदान करने वाले बाएं मणिपुर चक्र का एक प्रमुख पहलू अक्सर प्यार करने वाली पत्नियों और माताओं में पाया जाता है जो उन्हें अपने परिवारों की देखभाल करने में मदद करते हैं।

अनुभव और लाभ:

आपके मणिपुर चक्र का सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक कार्य आपके कई आंतरिक अंगों का नियमन करना है। बाईं नाभि अग्न्याशय और प्लीहा को नियमित करती है। आपकी केंद्रीय नाभि आपके पेट और आंतों का नियमन करती है। आपकी दाहिनी नाभि आपके जिगर और पित्ताशय को नियमित करती है। ध्यान में आपके जिगर की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। पूर्ण विचारहीन जागरूकता और ध्यान की स्थिति प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि हम तनावपूर्ण जीवन जीते हैं, हमारे लीवर में अधिक गर्मी और थकावट होने का खतरा होता है। सहज योग का अभ्यास आपको इस आवश्यक अंग को संतुलित और संरक्षित करने में मदद करेगा।

मणिपुर चक्र उचित पाचन और उपापचय में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन का अत्यधिक अतिभोग आपके मणिपुर चक्र को प्रभावित करता है। नियमित अंतराल पर खाया जाने वाला अच्छा, पौष्टिक भोजन मणिपुर चक्र को संतुलित रखने में मदद करता है।

मणिपुर चक्र आपके पारिवारिक जीवन के लिए भी आवश्यक है। जैसे-जैसे आप ध्यान के माध्यम से इसे सक्रिय और संतुलित करते हैं, आप पारिवारिक जिम्मेदारियों का सामना करने के लिए खुद को नवीकृत शक्ति से पूर्ण पाते हैं। आप खुद को उन कर्तव्यों का आनंद लेते हुए भी पाते हैं जिनसे आप बचते थे।

समृद्धि प्राप्त करना आपके विकास में एक आवश्यक कदम है। आपका मणिपुर चक्र आपके वित्तीय कल्याण के केंद्र में है। यह आपकी आवश्यक जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगा। आप उन सभी बौद्धिक और शारीरिक प्रतिभाओं के साथ पैदा हुए हैं जो आपको उन जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक धन अर्जित करने देता है। एक मजबूत मणिपुर चक्र का मतलब है कि एक बार जब आपकी वित्तीय ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं, तो आप अपनी आध्यात्मिक समृद्धि पर ध्यान देना शुरू कर देंगे।

आत्म मूल्यांकन:
यदि आपकी बायीं नाभि अवरुद्ध या असंतुलित हो जाती है, तो आप अपने परिवार और घर से जुड़ी कठिनाइयों में वृद्धि देख सकते हैं। पैसों को लेकर भी आपको चिंता का अनुभव हो सकता है। यदि आपकी मध्य नाभि के केंद्र में रुकावट है, तो आप अपने पाचन या उपापचय के साथ छोटी-मोटी समस्याओं या असंतुलन का अनुभव कर सकते हैं। जब दाहिनी नाभि का असंतुलन होता है, तो आप चिंता और उद्वेग से ग्रस्त हो सकते हैं। आप देने में अनिच्छा और उदारता की कमी भी महसूस कर सकते हैं। सौभाग्य से, सहज योग का अभ्यास आपको इस महत्वपूर्ण चक्र की ऊर्जा को संतुलित और पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा।

असंतुलन के कारण:
-अत्यधिक चिंता, तनाव और असंतुलित पारिवारिक संबंध।

-काम के प्रति जुनून, नशीली दवाओं और शराब के दुरुपयोग, किसी भी प्रकार की कट्टरता।

संतुलन कैसे करें:
अपने दाहिने मणिपुर चक्र को संतुलित करना काफी सरल है। बस अपना दाहिना हाथ, हथेली अंदर की ओर, अपने मणिपुर चक्र के स्थान के सामने कुछ इंच पकड़ें। जब आप महसूस करें कि आपके हाथ से ऊर्जा प्रवाहित हो रही है, तो इसे चक्र के चारों ओर घड़ी की दिशा में घुमाएं। कई बार दोहराएं। आप अपने लीवर के ऊपर अपनी दाहिनी ओर एक आइस पैक रखकर भी अपनी दाहिनी नाभि को संतुलित कर सकते हैं। अपने बाएं मणिपुर चक्र को संतुलित करने के लिए, अपना सामान्य ध्यान करते समय अपने पैरों को गर्म पानी के टब में भिगोएँ।


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*लेखिका गरिमा सिंह, अजमेर, ✍️✅🇮🇳...राजस्थान*
*रिपोर्टर: चंद्रकांत सी.पुजारी*
(गुजरात प्रदेश प्रभारी)
महुवा,सुरत (गुजरात)
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*संकलन*💐✅🇮🇳...
समता न्यूज नेटवर्क,श्रीरामपूर - *9561174111*
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जनकल्याण फाउंडेशनचा उपक्रम खुपच प्रेरणादायी- सुनिल गोसावी

 श्रीरामपूर प्रतिनिधि वार्ता 
 परिवर्तनाच्या प्रक्रियेमध्ये सातत्याने सहभागी असलेल्या प्रज्ञावंताचा गौरव करून त्यांच्या पाठीवर शाबासकीची थाप देण्याचा जनकल्याण फाउंडेशनचा उपक्रम निश्चितच खुपच प्रेरणादायी असून पुरस्कार प्राप्त व्यक्तींना अधिकचे पाठबळ मिळेल असे प्रतिपादन शब्दगंध साहित्यिक परिषदेचे संस्थापक, सचिव सुनील गोसावी यांनी केले.
मु.गोंडेगाव,पो.सलाबतपूर ता.नेवासा जि.अहमदनगर येथील जनकल्याण फाउंडेशन च्या वतीने आयोजित करण्यात आलेल्या राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज पुरस्कार वितरण समारंभाच्या अध्यक्षपदावरून ते बोलत होते. यावेळी प्रमुख पाहुणे म्हणून ज्येष्ठ सामाजिक कार्यकर्ते कॉ. बाबा आरगडे, प्राचार्य जी.पी. ढाकणे, सुभाष सोनवणे, डॉ.अशोकराव ढगे, प्रा.डॉ.अशोक कानडे, प्रा.डॉ. किशोर धनवटे, आनंदा साळवे व संस्थेचे अध्यक्ष पांडुरंग रोडगे इत्यादी मान्यवर उपस्थित होते.    
        पुढे बोलताना श्री.गोसावी म्हणाले की, काही पुरस्कार माणसांना मोठे करतात तर काही पुरस्कार माणसांमुळे मोठे होतात. या दोन्हीही गोष्टी जनकल्याण फाउंडेशनच्या वतीने घेतलेल्या या उपक्रमामुळे घडत आहेत,ही अतिशय आनंददायी गोष्ट आहे. कॉ.बाबा आरगडे बोलताना म्हणाले की,ग्रामीण भागात सातत्याने असा उपक्रम राबवून प्रेरणा देण्याचे काम फाउंडेशन करत आहे. तर प्राचार्य जी.पी. ढाकणे म्हणाले की, समाजासाठी काम करणाऱ्या व्यक्तींची सध्या वनवा असून जे लोक समाजा साठी काम करतात त्यांचा असा सन्मान झाल्यास त्यांना निश्चितच प्रेरणा मिळेल. सुभाष सोनवणे, डॉ.अशोक ढगे, डॉ.धनवटे यांनी मनोगत व्यक्त केले.
यावेळी कार्यक्रमांचे प्रास्ताविक प्रा.डॉ. अशोक कानडे यांनी केले तर संस्थेचे अध्यक्ष पांडुरंग रोडगे यांनी आभार मानले. सूत्रसंचलन प्रा.डॉ. संतोष तागड यांनी केले.
यावेळी डॉ. सुधाकर पेटकर, अशोक शर्मा, राणी शिरसाठ, बाळासाहेब कोठुळे, पत्रकार सुधिर चव्हाण, जालिंदर बोरुडे, शिवशाहीर विजय तनपुरे, ग्रंथपाल रघुनाथ दरदंले, मनिषा धनापुरे यांना राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज पुरस्कार २०२४ प्रदान करण्यात आले. डॉ. शैलेंद्र भणगे, रज्जाक शेख, शितल धरम यांचा विशेष पुरस्कार देऊन सन्मान करण्यात आला. राज्यसेवा मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण झाल्याबद्दल विकास कर्डिले, अविनाश लोंढे, मयूर दाणे यांचा सत्कार करण्यात आला. यावेळी कार्यक्रमास कवी आत्माराम शेवाळे, मकरंद घोडके यांच्या सह अनेक मान्यवर उपस्थित होते.


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*पत्रकार राजू मिर्जा* 
(ब्यूरो चिफ: नाशिक विभाग)
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*संकलन* ✍️✅🇮🇳
समता न्यूज नेटवर्क,श्रीरामपूर - *9561174111*
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देशातल्या पहिल्या स्वीप केअर व्हाट्सअप क्रमांकाची संकल्पना अनुकरणीय - अतिरिक्त मुख्य निवडणूक अधिकारी किरण कुलकर्णी


पुणे येथे भारत निवडणूक आयोग व मुख्य निवडणूक अधिकारी- महाराष्ट्र यांच्याकडून अहमदनगर स्वीप समितीच्या 9002109003 व्हाट्सअप क्रमांकाचे विमोचन
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अहमदनगर जिमाका वृत्तसेवा
 मतदारांना मतदानासाठी प्रोत्साहित करण्यासाठी विविध प्रकारचे नाविन्यपूर्ण स्वीप उपक्रम राज्यात चालू आहेत.यामुळे मतदानाची टक्केवारी वाढण्यासाठी मदत होणार आहे. सक्षम लोकशाही समृद्ध करण्याकरिता प्रत्येक मतदाराने महत्त्वाचे योगदान देणे गरजेचे आहे.याकरिता "एक जिल्हा - एक व्हाट्सअप नंबर " या संकल्पनेवर आधारित अहमदनगर जिल्हास्वीप समितीचा देशातला पहिला स्वीप केअर व्हाट्सअप क्रमांकाचा प्रयोग हा इतरांसाठी निश्चितच अनुकरणीय आहे. यामुळे स्वीप उपक्रमांचे संकलन सुलभ व सोपे होणार आहे व संपर्क साधण्यासाठी हा प्रयोग फार महत्त्वाचा आहे " असे प्रतिपादन महाराष्ट्र राज्याचे अतिरिक्त मुख्य निवडणूक अधिकारी किरण कुलकर्णी यांनी केले.
जिल्हाधिकारी तथा जिल्हा निवडणूक अधिकारी,अहमदनगर सिद्धाराम सालीमठ यांच्या निर्देशानुसार वैशिष्ट्यपर्ण स्वीप उपक्रम जिल्ह्यात वेग घेत आहेत. भारत निवडणूक आयोग व मुख्य निवडणूक अधिकारी-महाराष्ट्र यांच्या वतीने यशवंतराव चव्हाण विकास प्रशासन प्रबोधिनी,पुणे येथे संपन्न झालेल्या स्वीप नोडल अधिकारी राज्यस्तरीय परिषद व प्रशिक्षण कार्यशाळेत अहमदनगर जिल्हा स्वीप समितीच्या 9002109003 या स्वीप केअर व्हाट्सअप क्रमांक उपक्रमाच्या विमोचनप्रसंगी कुलकर्णी बोलत होते. 
यावेळी प्रमुख अतिथी म्हणून आराधना शर्मा -वरिष्ठ सल्लागार -स्वीप, शरद दळवी -उप मुख्य निवडणूक अधिकारी, -जिल्हा अशोक कडूस-(स्वीप नोडल अधिकारी तथा शिक्षणाधिकारी, अहमदनगर) डॉ अमोल बागुल (जिल्हा मतदारदूत) आदी उपस्थित होते.
संपूर्ण जिल्हाभरातील विविध प्रकारचे हजारो स्वीप उपक्रमांचे फोटो , कागदपत्रे ,वृत्तपत्र कात्रणे, पीडीएफ डॉक्युमेंट्स , ऑडिओ- व्हिडिओ क्लिप्स, जिंगल्स, रिंगटोन एकाच ठिकाणी संकलित होऊन या साहित्याचा जिल्ह्याच्या सोशल मीडिया व्यासपीठावर प्रसारित करण्यासाठी तसेच भारत निवडणूक आयोग व मुख्य निवडणूक अधिकारी-महाराष्ट्र यांना उपक्रम अहवाल पाठवण्यासाठी या संकल्पनेचे उपयोजन होईल. म्हणून हा क्रमांक व या क्रमांकाचा क्यू आर कोड स्वीप समितीच्या सर्व प्रकारच्या मतदार जनजागृती प्रचार साहित्यावर वापरण्यात आलेला आहे,असे प्रतिपादन अशोक कडूस यांनी केले.सुमारे ३५ जिल्ह्यांमधून अहमदनगर जिल्ह्याला आपले स्वीप उपक्रम मांडण्याची संधी या कार्यशाळेत मिळाली.
उपक्रमासाठी राहुल पाटील (उपजिल्हाधिकारी तथा उपजिल्हा निवडणूक अधिकारी ), मीना शिवगुंडे(स्वीप नोडल अधिकारी तथा उपशिक्षणाधिकारी), आकाश दरेकर (स्वीप नोडल अधिकारी तथा उपशिक्षणाधिकारी),प्रदीप पाटील (तहसीलदार-निवडणूक), बाळासाहेब बुगे (उपशिक्षणाधिकारी), प्रशांत गोसावी (निवडणूक नायब तहसीलदार) व सर्व स्वीप समिती सदस्यआदींचे मार्गदर्शन व सहकार्य लाभले.


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*पत्रकार रमेश जेठे (सर) ✍️✅🇮🇳...अहमदनगर*
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*संकलन*💐✅🇮🇳
समता न्यूज नेटवर्क,श्रीरामपूर - *9561174111*
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श्रीरामपूर चे डॉ सलीम सिकंदर शेख बैतुशशिफा यांचा जाहीर नागरी सत्कार "


दिनांक ३० एप्रिल २०२४ मंगळवार , रोजी , 
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टाइगर बहुजन फोर्स श्रीरामपूर च्या वतीने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जयंतीनिमित्त आयोजित भीमगीताच्या कार्यक्रमात श्रीरामपूर येथील बैतुशशिफा हास्पिटल चे डॉ सलीम भाई शेख यांचा सत्कार करण्यात आला. वीस वर्षांपासून दरवर्षी पवित्र रमजान महिन्यात " इस्लाम समजून घेताना" नावाची लेखमालिका दर वर्षी न चुकता संपूर्ण महाराष्ट्रात व देशात हाजारों दैनिकांत प्रकाशित उत्कृष्ट लिखान केल्याबद्दल डॉ सलीम सिकंदर शैख यांचा जाहीर नागरी सत्कार श्री संजय रुपटक्के संस्थापक अध्यक्ष टाइगर फोर्स यांच्या हस्ते करण्यात आला त्या वेळी दैनिक लोकमत चे माजी उपसंपादक मिलिंद कुमार साळवे, समाजसेवक गोरख आढाव, शंभूक विद्यार्थी वसतिगृहाचे अधिक्षक श्री.अशोक दिवे सर , समाजसेवक भाई बागुल जी , समाजसेवक लहानुभाउ त्रिभुवन..व टायगर्स फोर्स चे विविध कार्यकर्ते व असंख्य- हाजारों प्रेक्षकांच्या साक्षीने सत्कार करण्यात आला..

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!! ईस्लाम :- कामगार - मजुरांची मजुरी त्यांचा घाम सुकण्याआधी चुकती करा " प्रेषित मुहम्मद स्वल्ल. !!

आल्लाहाचे प्रेषित मुहम्मद सल्ल. म्हणतात की" कामगारांची मजुरी त्यांच्या घाम सुकण्याआधी चुकती करा,अदा (देऊन टाका) करावी (इब्ने - माझा हा.नं. २४४३),
अबू -हुरैरा रजि. म्हणतात की, "हजरत मोहम्मद सल्ल.सांगतात की कायामतच्या दिवशी अल्लाहा त्या मानुष्याशी नाराजी करेल ज्या मनुष्याने एखाद्या मजूर कामगारांकडून दिवसभर मजूरी - काम करुन घेतले आणि त्याने केलेल्या मजुरी कामाचा मोबदला दिला नाही "''(सहीह बुखारी २२२७ ,ईबने माझा २२४७),
१ मे हा आंतरराष्ट्रीय कामगार दिवस,महाराष्ट्रचा "महाराष्ट्र दिन" महाराष्ट्र एकीकरणाच्या वेळेस मुंबई ही महाराष्ट्रातच रहायला हवी यासाठी १०५ (एकशे पाच) जणांनी हौतात्म्य पत्कारत आपले बलिदान दिले,आपण या हुतात्म्यांना मानवंदना देऊन महाराष्ट्र दिन पाळतो,
१ मे हा जगभरातील कामगार चळवळीच्या गौरवासाठी पाळण्यात येणारा आंतरराष्ट्रीय कामगार दिन विशेष म्हणजे जगभरातील ८० ((ऐंशी) पेक्षा अधिक देशांमध्ये एक मे या दिवशी राष्ट्रीय सुट्टी जाहीर करुन हा कामगार दिन पाळला जातो. प्राचीन युरोपातील वसंत दिनाच्या दिवशी हा दिन येतो,खास म्हणजे हा दिवस शिकागोमध्ये ४ मे १८८६ मध्ये घडलेल्या हे Hey हे मार्केट दुर्घटनेच्या स्मरणार्थ जगभरातील समाजवादी, साम्यवादी विचारसरणीचे पक्ष साजरा करतात.
१४४० चौदाशे वर्षांपूर्वी अरबस्तानात अमानवी,रानटी, क्रुर अशा अनेक अमानुष प्रथा अशी पद्धतीने गुलामगिरीची पद्धत,शोषण पद्धती होती, त्याकाळात मजुरांना दिवसभर राबून गुलामाला (कामगार) दिवसभर गुलामी करून रात्री छळ करीत व रात्रंभर उपाशी ठेवत असत,भर उन्हा - तान्हात, वाळवंटाच्या वाळूवर भर उन्हात झोपून त्यांचे खूप हाल करीत असत,त्यांनी केलेल्या श्रम - कामाच्या मोबदल्यात त्यांना दोन वेळेचे जेवण देखील देत नसत, जगेल येवढेच अन्न देत असत, अशा प्रकारे कामगारांचा छळ करून त्यांचे अतोनात हाल करायचे,त्याच काळात प्रेषित हजरत मुहम्मद स्व.यांनी गुलामगीरी समुळ नष्टच केली, गुलामांचे व मजुरांचे संपूर्ण हक्क प्रदान करून,गुलामगीरी प्रथा नष्ट करून गुलाम,कामगार,मजुरांना एक मनुष्य म्हणून वागवण्याची तथा वागणूक देण्याची प्रथा सुरु करुन मालकांना एकाप्रकारे तंबीच दिली.
अब्दुल्लाहा बिन उमर रजि. प्रेषितांचे मित्र म्हणतात की,नबी करीम स्व.यांनी सांगितले की, तुमचे नोकर -चाकर हे तुमचे बंधू आहेत,तुम्ही तुमच्यासाठी जे-जे भोजन ग्रहण करता त्याच प्रकारचे भोजन तुम्ही तुमच्या गुलाम- नोकर,चाकरांनाही खाऊ घाला,जे वस्त्र तुमच्यासाठी तुम्ही परिधान करता त्यातील काही वस्त्र तुमच्या गुलाम- नोकर, चाकरांनाही द्या,आपल्या गुलाम-नोकर,चाकरांना स्नेहपूर्वक सौजन्यशील वागणूक द्या,
त्यांच्यावर आत्याचार करू नका, त्यांना जालीमांच्या हवाली करु नका,जे मनुष्य संकटात आपल्या बांधवाची मदत करतात, अल्लाहा करिम त्यांच्या संकटात मदत करतात "'(सहीह बुखारी शरीफ ६०७, २४४२,, ईबने माझा ३६१०, मुस्लिम शरीफ १६६१,),
प्रेषित मुहम्मद सल्ल. यांच्या महापरिनिर्वाणानंतर इस्लामचे पहिले खलिफा हजरत अबूबकर सिद्दिक रजि.हे प्रेषित मुहम्मद स्व.यांचे खास मित्र व सर्वांत अगोदर इस्लाम कबूल करणारे इस्लामचे प्रथम खलिफा झाले.
त्यांच्या खलिफा नियुक्तीनंतर त्यांच्या कार्यकाळात त्यांना त्यांच्या एका मित्रांने विचारले की, "तुमच्या वेतनाचे,महिन्याच्या मानधन (पगाराचे) चे काय असले पाहिजे ?, 
त्यावर खलिफा हजरत अबु - बकर रजी.म्हणतात की ,एका मजुराला दिवसभरात जी मजुरी असेल तेवढी महिन्याचं मानधन असेल,त्यानंतर त्यांचे सहकारी म्हणतात की,इतक्या अल्प मानधनावर तुमचा उदरनिर्वाह(गुजारण) कसा होईल ?,त्यावर हजरत अबु-बकर रजि. म्हणतात की,मला जर कमी पडले तर मी सर्वप्रथम दिवसभर श्रम - मजूरी काम करील व त्याच्या पगार आणि मजुरीत वाढ करील ज्याने माझे मानधन वाढेल,अशा प्रकारे मी माझे मानधन वाढवील,तसेच दुसरे खलिफा हजरत उमर रजि. हे त्यांच्या कार्य काळात जवळ जवळ निम्म्या जगावर राज्य करीत होते,आपल्या शिस्तप्रिय शासनाच्या कार्यपद्धतीने फार प्रसिद्ध होते,त्यांच्या कार्यकाळात त्यांनाही अशाच प्रकारे प्रश्न उपस्थित केला गेला,त्यावर ते म्हणतात की, यदा कदाचित ही जी दजला नदी आहे त्या नदीच्याकाठी एक कुत्रा जरी उपाशी मरुन पडला तर त्याची जबाबदारी माझीच, म्हणजे ज्यांच्या राज्यात एक कुत्राही उपाशी राहु शकत नाही ज्या कुत्र्याची जबाबदारी त्यांची तर, ‌‌ते किती मोठे शासक असतील ?, ते कशा प्रकारे आपले राज्य कारभार करीत असतील,
इस्लामची मानव कल्याणकारी शिकवण किती मोठी,म्हणूनच इतिहासकार म्हणतात की, इस्लाम आयाही है गरीबों, बेबसों, गुलामों,मजदूरों,लाचारों,बेसहारों कों इंसाफ दिलाने के लिए....
   १ मे हा जागतीक कामगार दिन आपल्या असंख्य कामगार बंधू-भगीनींच्या हक्काचा दिवस आहे,या निमित्ताने सर्व कामगार बंधू-भगीनींना हार्दिक शुभेच्छा.


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लेखक - डॉ.सलीम सिकंदर शेख ✍️✅🇮🇳...बैतुशशिफा हॉस्पिटल,श्रीरामपुर
९२७१६४००१४
@ डॉ @ स@ लि @ म @ शे@ख@ 🌹🥀🌺🌸🌷♥️
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