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Friday, September 27, 2024

अल हिरा स्कूल ॲन्ड मदरसा ने आयोजित पैगंबर मुहम्मद स्व सल्लमांच्या जीवन चरित्रपर ( सिरत - ए- नबी स्व. ) आधारीत कार्यक्रम के श्रीरामपूर के विजेताओं का सन्मान और सत्कार "

" अल हिरा स्कूल ॲन्ड मदरसा ने आयोजित पैगंबर मुहम्मद स्व सल्लमांच्या जीवन चरित्रपर ( सिरत - ए- नबी स्व. ) आधारीत कार्यक्रम के श्रीरामपूर के विजेताओं का सन्मान और सत्कार "
     अहमदनगर ज़िले के ता.कर्जत शहर में ता.22-09-2024 इतवार ( Sunday ) *अल-हीरा स्कूल & मदरसा ने* पैगम्बर हज़रत मुहम्मद (स.)के जीवन पर *(सिरत-ए-रसूल सल्लल्लाहु) के आधार* पर एक *जिल्हा लेवेल पर बड़ा कॉम्पटीशन रखा गया था।* 
 वही कॉम्पटीशन (Competition) में श्रीरामपुर शहर के मशहूर मकतब-मदरसा ( *मकतब-ए-आयशा-MAKTAB-E-AYESHA* 
और *MAKTAB-E- DARUSSLAAM* व
 *MADINA MASJID MARKAZ* shrirampur) के सभी Candidate, *55 तलबा और तालिबात* ने हिस्सा लिया था जिसमे
*मकतब-ए-आयशा फातिमा हाउसिंग सोसायटी की तालिबा* 
*01 ) अल्फिया जाफर काकर* और 
*02) खदीजा ज़ाकिर काकर* और इसी तरह से 
*दारुस्लाम मदरसा गोंधवानी* की 
*03) सादिया रफ़ीक़ बेग* 
        इन्होंने इनामात( अवार्ड )हासिल किए इन बच्चियों को और उनके घर वालो का हौसला ( हिम्मत) बढाने के लिये श्रीरामपूर शहर के खतिब ए इमाम मौलाना अब्दुल कददुस सहाब , फैजान ए जमिल फौंडेशन के इक्बाल काकर सर, बैतुशशिफा एज्युकेशनल व सोशल फौंडेशन व
विद्रोही सांस्कृतिक चळवळीचे सभी कार्यकर्ते अध्यक्ष डॉ सलीम सिकंदर शेख बैतुशशिफा, खजिनदार बॅंक मॅनेजर अकबरभाई शेख, संघटक इम्तियाज पठाण, सदस्य सनमून बुक्स के तन्वीर भाई शेख , ऐ वन मसाला के खालिद भाई मोमीन..और हाजी अमीन मनसुरी, वसिम कुरैशी..और सभी बच्चों के वालीद और मदरसा ( मकतब ) ए आयेशा के मुख्य टिचर - उस्ताद हाफीज अमान जहागीरदार - पटेल और उनके भाई हाफीज जहागीरदार _ पटेल सहाब मौजुद थे...

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लेखक :- ✍️✅🇮🇳...डॉ सलीम सिकंदर शेख 
बैतुशशिफा दवाखाना मिल्लतनगर श्रीरामपूर 
+९१९२७१६४००१४
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Thursday, September 26, 2024

मुखियाजी के ग्रेजुएट बहु लेखक : राम राघव - बैंगलोर


चहुँओर मंगलमय वातावरण था, कुछ महिलाएं तो मंगलगान में व्यस्त थी वहीँ कुछ बैना - पिहानी बांटकर घर वापस लौटी थी और बैठकर नवेली बहु के गुण - संस्कार का बखान कर रही थी। हो भी क्यूँ ना आखिर आज गाँव के मुखियाजी के पोत - पुतोहू के ससुराल आगमन पश्चात रसोई स्पर्श का प्रथम दिवस जो था। वस्तुतः आज के भोजन का जायका भी तो नयकी दुल्हिन के अनुसार ही होगा, जिसमें वो अपनी पाक कला की दक्षता और विवाह पूर्व अर्जित खान - पान की समझ को भी ससुरालवालों के सामने प्रदर्शित कर अपने नैहर को गर्व भी महसूस करवा पायेगी।
मुखियाजी का परिवार चार पुत्र एवं पुत्र - वधुओं समेत कुल 27 लोगों से भरा-पूरा परिवार था। घर की सम्पन्नता और संयुक्त परिवार के आयाम की चर्चा आस - पास के 20 - 25 गाँवों में लोगों की जुबान से निकल ही पड़ती थी। सभी स्वजन मुखियाजी को शुभकामनाएँ दे रहे थे, कि अरे आप जैसा सौभाग्य भगवान सबको दें, पोता का बियाह तो देखिये लिए अगर प्रभु की मरजी रही तो स्वर्गारोहण से पाहिले पड़पोता को गोद में जरुरे खिलायेगा।
काफी गुना भाग और काट- छांट के बाद पोते की शादी तय हुई। वधु के चुनाव में यह ध्यान रखा गया कि कनियाँ सुन्दर हो न हो लेकिन पढ़ी लिखी और शहर के आहार व्यव्हार से परिचित जरूर होनी चाहिए। चूंकि लड़का स्नातक था और नौकरी के सिलसिले में अगर शहर जाना भी पड़ा तो अच्छी जीवनसंगिनी बन सके। अंततः एक कन्या का चुनाव हुआ और गाँव में कहलवाया गया कि मुखियाजी गाँव में पहली बार सुन्दरता से ऊपर शिक्षा को रखकर बहु ला रहे हैं।
शाम हुई तो बहु घूंघट काढ़कर एक कॉपी पर ससुराल के सभी सदस्यों का नाम लिखकर कौन कितनी चपाती खाएँगे, पूछना शुरू की। मुखिया जी का फरमान जारी हुआ कि सबलोग जल्दी - जल्दी अपनी खुराकी बता दो, जिससे कि कनियाँ को राशन आँकने में परेशानी का सामना न करना पड़े। कुछ तो दबी जुबान में यह भी कह रहे थे, ये कौन सी बला है, ऐसा भी कहीं हुआ है क्या ?, लेकिन सब बहु के इस गुण की चर्चा करने से बचते नजर आये। “अरे भाई पढ़ी - लिखी की बात ही कुछ और होती है”।
सभी सदस्यों की खुराकी का आंकलन तो हो गया, तदनुसार प्रति व्यक्ति के हिसाब से आटा, सब्जी, मसाले, इत्यादि का वजन तैयार हुआ और सम्बंधित नौकरानियों को नाप जोखकर सामान दे दिया गया। एक नौकरानी को आटा गूंथने का, दूसरी को सब्जी काटने, तीसरी को दूध गर्म करने और पायस सामग्री तैयार करने की तथा चौथी को चूल्हे के पास पर्याप्त जलावन, पानी और बर्तन इकठ्ठा करने को तो किसी को सिलबट्टे पर मसाला पीसने को कहा गया।
रसोई बनना प्रारंभ हुआ। कुछ समय पश्चात पकते व्यंजनों की सुगंध प्रांगण में फैलने लगी। सभी लोग संध्याकाल की नित्य - क्रिया से निवृत्त होकर दालान पर बैठकर गप्प हांकने के साथ ही अपनी बढ़ी हुई पेट पर हाथ फेरकर भूखा होने का सन्देश प्रेषित करने लगे। वहीँ घर की महिलाएं पकवान के इंतजार में बहु का गुण - गान किये जा रही थी और खुश भी हो रही थी कि आज किसी और की हाथ का भोजन ग्रहण करने का आनंद मिलेगा। “ग्रामीण परम्परा के अनुसार भोजन का भोग सर्वप्रथम बच्चे और पुरुषों के बाद बुजुर्ग महिलाएं और अंत में ननद भौजाईके खाने की रही है”।
समयानुसार नाना प्रकार का व्यंजन तैयार होने के सन्देश के साथ आमंत्रण भी दालान पर बैठे घर के तथा आमंत्रित पुरुषों को भिजवाया गया। दालान पर ही सभी पुरुष अपने - अपने लोटा में पानी में लेकर पालथी मारकर बैठ गए। केले के पत्ते पर पानी छिड़का गया और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए। सभी ने भगवान को सुमिरते हुए भोजन आरम्भ किया। बुढिया सासु माँ और मुखियाजी घूम - घूमकर स्वाद का अंदाज पूछते और इतराते। “कहिये कैसा भोजन बना है, नमक - उमक सब ठीक तो है ना”!
भोजन स्वादिष्ट बने होने से सब छककर खाते रहे और साथ ही पौत्र - वधु को पुत्रवती, धनवती, सौभाग्यवती आदि होने का आशीर्वाद बरसाते जा रहे थे। “मजा आ गया, क्या भोजन बना है”! जैसी बातों से भोजन के स्वाद को और बढ़ाये जा रहे थे। पहली पंघत उठने के बाद बहु रसोई घर में जाकर खर्च और बचे हुए व्यंजनों का हिसाब किताब करने लगी। पता चला कि साधारणतया कुछ व्यक्ति स्वभावगत अपने अनुमानित या यूँ कहें कि स्वाद के वशीभूत होकर कुछ ज्यादा ही खा गए जिसके कारण भोजन अनुपातिक रूप से कम बचा हुआ था जिसमें बुजुर्ग महिलाओं और ननद भौजाई को खाना था। अपनी बारी आने तक भोजन समाप्त ना हो जाये ये सोचकर नई स्नातक बहु ने एक थाली में खुद के लिए सारा व्यंजन परोसकर रसोईघर में ही राखी कुर्सी पर बैठकर प्रारंभ कर दी। हा - हा ये क्या! बहु ने खाना शुरू कर दिया। कानों-कान खबर सासु माँ और ननद तक पहुँची, जिनको अपने घर की इज्जत को हमेशा पड़ोसियों से सर्वोपरि बताना रहता है, जग - हंसाई ना हो इसलिए भागे - भागे रसोईघर में बहु को देखने पहुँचे अरे ! कनियाँ ये क्या कर रही हो ? क्या हुआ अक्ल तो ठीक है ना! माँ ने कुछ सिखाया था कि नहीं। थोड़ी देर सब्र नहीं कर सकती थी? आदि-आदि कहकर ताना देने लगी। बहुत पूछने पर बहु ने बताया भूख तो उतनी नहीं लगी लेकिन सभी लोग जिस हिसाब से खाना खाए हैं वह पहले बताई गयी मात्रा से काफी ज्यादा है, इस प्रकार से तो हमारे खाने तक तो कुछ बचेगा ही नहीं, यही सोचकर मैंने अपना खाना खा लिया। बाकी लोग जाने कि आगे क्या करना है? इसमें आपलोग मुझे कोपभाजन का शिकार क्यूँ बना रहे हैं यह समझ से परे है। ऐसा बहु ने सासु माँ को बताया। इस बात की जग - हंसाई ना हो जाये, पतोहू को डांट रही थी कि थोड़ा पूछ तो लेती। दूसरी ओर इस बात की खबर पड़ोस में फैलने का भी डर था कि लोग क्या बोलेंगे?, इतने दिनों की बनी - बनायी इज्जत का क्या होगा ?
लघु परिवार की लड़की का संयुक्त परिवार की बहु बनने का सफर काफी अनमना सा रहा। वहीँ सम्भ्रांत परिवार के बहु का यह गुण यशस्वी परिवार की कीर्ति को धूमिल करने वाली और स्वार्थपरक कहकर ग्रामीण महिलाएं कंसार - घर की एक चौपाई सी बना डाली।
मुखियाजी के शहरी स्नातक पोत - पुतोहू के गुण - दोष का बखान जो भी हो परन्तु खाने की मात्रा के आंकलन के तरीके एवं संस्कृति से परे स्वयं के खाने का गुण ने तो सभी महिलाओं के होंठ पट - पटाने का एक स्वर्णिम अवसर जरूर दे गया।

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*संकलन*💐✅🇮🇳...
समता न्यूज सर्व्हिसेस, श्रीरामपूर 
महाराष्ट्र - M 09561174111
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*लेखक विशेष सहयोग*✍️✅🇮🇳...
चंद्रकांत सी.पुजारी (गुजरात)
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श्रीरामपूर विधानसभा मतदारसंघात आश्रमशाळा सुरू करण्यासाठी प्रयत्न करणार - आ. कानडे


- श्रीरामपूर - प्रतिनिधी - वार्ता -
आदिवासी समाजाच्या विकासासाठी राजूर प्रमाणे श्रीरामपूर येथे आदिवासी एकात्मिक विकास उपप्रकल्प कार्यालय तसेच आदिवासी विद्यार्थ्यांसाठी आश्रमशाळा सुरू करण्यासाठी शासन दरबारी पाठपुरावा करण्याची ग्वाही आमदार लहू कानडे यांनी दिली.

श्रीरामपूर-पुणतांबे रस्त्यावरील गोंधवणी येथील डावखर मंगल कार्यालयात एकलव्य भिल्ल समाज संघटनेच्यावतीने आयोजित केलेल्या आदिवासी एल्गार महासभेच्या अध्यक्षपदावरून आ. कानडे बोलत होते. श्रीरामपूर तालुका काँग्रेसचे अध्यक्ष अरुण पाटील नाईक, माजी नगरसेवक अशोक (नाना) कानडे, सतीश बोर्डे, सरपंच अशोक भोसले, सागर मुठे, संभाजी ब्रिगेडचे जिल्हाध्यक्ष शिवाजी पवार, दीपक निंबाळकर, सुदाम पटारे, युनूस पटेल, दीपक कदम, चांगदेव देवराय, बापूसाहेब लबडे, सुनील शिंदे, इमरान शेख, शिवाजी अभंग, सुनील शिंदे, आशिष शिंदे, प्रतीक कांबळे, कल्पेश माने, एकलव्य भिल्ल समाज संघटनेचे संस्थापक शिवाजीराव गांगुर्डे, संघटनेचे पदाधिकारी ज्ञानेश्वर लगड, मल्हारी पवार, दत्ता माळी, विष्णू वाघ, रंगनाथ आहेर, सुदाम मोरे, सुभाष पवार, भीम आर्मीचे दीपक भालेराव, योगेश पवार, भारत पवार, मच्छिंद्र जाधव, ताराबाई पवार, अंजली पवार, सरपंच नंदा अहिरे यावेळी व्यासपीठावर होते.

प्रारंभी दीप प्रज्वलन व विविध महापुरुषांच्या प्रतिमेस पुष्पहार अर्पण करून तसेच जय जय महाराष्ट्र माझा या गीताने एल्गार महासभेस सुरुवात झाली. यावेळी विधानसभा अधिवेशनामध्ये पारधी विकास आराखड्याप्रमाणे भिल्ल विकास आराखडा मंजूर करावा, या विषयावर आवाज उठवून त्यास मान्यता देण्याची मागणी केल्याबद्दल आ. कानडे यांचा सन्मानचिन्ह, प्रशस्तीपत्र व पुष्पहार घालून सन्मान करण्यात आला. गोदावरी नदीत बुडणाऱ्या तिघांना आपल्या साडीच्या साह्याने वाचविणाऱ्या कोपरगांव येथील ताराबाई पवार यांचा यावेळी आ. कानडे यांच्या हस्ते सत्कार करण्यात आला.

आ. कानडे म्हणाले, आपण शोषित समाजाच्या चळवळीतून आलेला कार्यकर्ता असून या समाजाचे दुःख जाणून आहे, त्यामुळे आपण कायमच आदिवासी समाजाच्या पाठीशी खंबीरपणे उभा राहून त्यांचे प्रश्न सोडवण्याचा प्रयत्न करीत आहोत, यापुढेही ते काम सुरूच राहील, शासकीय जागेत अतिक्रमण करून राहणाऱ्या आदिवासींचे अतिक्रमणे नियमानुकूल करावीत, असा निर्णय शासनाने घेतला असला तरी त्याची अंमलबजावणी होत नाही. या प्रश्नासाठी आपली लढाई सुरू आहे. अशी अतिक्रमणे उठविण्यासाठी येणाऱ्या अधिकाऱ्यांवर दांडा काढावा, मी तुमच्या पाठीशी राहील. जातीचे दाखले, रेशन कार्ड असे आदिवासींचे प्रश्न आहेत. त्याचे ऑनलाईन अर्ज भरून द्यावेत, कोणी दाखल्यापासून वंचित राहणार नाही, याबाबत काळजी घेऊ.
गोरगरिबांच्या नावाने मते मागणाऱ्यांनी गोरगरिबांसाठी झालेले निर्णय अमलात आणले पाहिजेत. परंतु तसे होत नाही. सरकारने आदिवासींसाठी जे प्रकल्प केले तेथे सर्व निधी दिला जातो. राजुर येथे आदिवासी प्रकल्प असून त्यांना ८५ टक्के निधी मिळतो तर इतरत्र आदिवासींची संख्या जास्त असताना त्यांना मात्र १५ टक्के निधी मिळतो. सर्व आदिवासींना सामान निधीचे वाटप व्हावे, असा आग्रह आपण शासनाकडे धरला, पारधी विकास आराखड्याप्रमाणे आदिवासी विकास आराखडा मंजूर करावा, यासाठी आपण विधानमंडळात प्रश्न उपस्थित करून आवाज उठविला, पुढील काळात यासाठी लढा उभारावा लागेल असे ते म्हणाले.
आदिवासींसाठी असलेल्या राजुर येथील प्रकल्प जिल्ह्यातील इतर आदिवासींच्या दृष्टीने गैरसोईचा आहे. या कार्यालयात जाण्या-येण्यास पैसा व वेळ खर्च होतो. त्यामुळे श्रीरामपूर येथे उपप्रकल्प कार्यालय सुरू करावे अशी आपली मागणी आहे. तसेच राजुर प्रकल्प अंतर्गत आश्रम शाळा सुरू करण्यात आल्या आहेत, त्यातील काही आश्रम शाळा बंद असून त्यांचे लेखाशीर्ष मात्र बंद झालेले नाही. त्यामुळे त्यापैकी श्रीरामपूर व देवळाली प्रवरा येथे आश्रम शाळा सुरू कराव्यात, यासाठी आपण शासन दरबारी पाठपुरावा करणार असल्याचे त्यांनी यावेळी सांगितले.

आदिवासींचे प्रश्न सोडवण्यासाठी त्यांना मुख्य प्रवाहात आणण्यासाठी आ. कानडे यांचा नेहमी प्रयत्न असतो. आदिवासी विकास आराखड्याबाबत अधिवेशनात प्रश्न उपस्थित करणारे आ. कानडे पहिले आमदार आहेत. हा प्रश्न उपस्थित केल्याने राज्यातील आदिवासी एकवटले असून सर्व आदिवासी आ. कानडे यांच्या पाठीशी उभे आहेत. आगामी निवडणुकीत आ. कानडे यांना विजयी करण्यासाठी आदिवासी निश्चितच प्रयत्न करतील, असे संघटनेचे संस्थापक शिवाजीराव गांगुर्डे यावेळी म्हणाले.
राज्यात अनेक आदिवासी समाजाचे नेते असून यापैकी कोणीही आदिवासींच्या प्रश्नाबाबत अधिवेशनात बोलले नाहीत. मात्र आ. कानडे यांनी भिल्ल विकास आराखड्यावर अधिवेशनात चर्चा घडवून आणली. त्यांना आदिवासीच्या प्रश्नाची जाण असून आदिवासी वस्तीतील मूलभूत गरजा भागवायचे असतील तर आ. कानडे यांच्या पाठीशी उभे राहावे, असे आवाहन ज्ञानेश्वर लगड यांनी यावेळी केले. यावेळी संघटनेचे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्हारी पवार, दत्ता माळी, सुदाम मोरे, दीपक भालेराव यांनी आपल्या भाषणातून आ. कानडे यांनी आदिवासींसाठी केलेल्या कामाचा आढावा घेत त्यांच्या पाठीशी उभे राहण्याची ग्वाही दिली.
रंगनाथ आहेर व हर्षदा आहेर यांनी सूत्रसंचालन केले. अरुण पाटील नाईक यांनी आभार मानले. कार्यक्रमास मोठ्या संख्येने आदिवासी महिला व पुरुष उपस्थित होते. महिलांची संख्या लक्षणीय होती. मंगल कार्यालय गर्दीने भरले होते. त्यामुळे बाहेरही अनेक आदिवासी बांधव व महिला भगिनी उपस्थित होत्या.

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श्रीरामपूर - आदिवासी एल्गार महासभा बोलताना आमदार लहू कानडे. समावेत एकलव्य भिल्ल समाज संघटनेचे संस्थापक शिवाजीराव गांगुर्डे. समवेत आदिवासी जनसमुदाय दिसत आहे. (छाया - अमोल कदम, श्रीरामपूर
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*वृत्त विशेष सहयोग*✍️✅🇮🇳...
पत्रकार दिपक कदम, श्रीरामपूर 
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समता न्यूज सर्व्हिसेस, श्रीरामपूर +९१९५६११७४१११
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शाळा व्यवस्थापन समिती अध्यक्षपदी शेळके तर उपाध्यक्ष पत्रकार संदीप आसने व उमाप


- श्रीरामपूर - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
तालुक्यातील माळवाडगाव येथील जिल्हा परिषद प्राथमिक शाळेच्या शाळा व्यवस्थापन समितीच्या अध्यक्षपदी उद्धव शेळके तर उपाध्यक्षपदी पत्रकार संदीप सुभाष आसने व ललिता उमाप यांची सर्वानुमते पालक मेळाव्यात निवड करण्यात आली आहे.
        माळवाडगाव जिल्हा परिषद प्राथमिक शाळेच्या शाळा व्यवस्थापन समितीच्या निवडीसाठी काल दि. (२६) रोजी सुरेश आसने यांच्या अध्यक्षतेखाली व माजी अध्यक्ष जालिंदर आसने व मुख्याध्यापक देविदास मुंतोडे यांच्या प्रमुख उपस्थितीत पालक मेळाव्याचे आयोजन करण्यात आले होते. यावेळी शाळेच्या पदाधिकारी निवडीत कोणत्याही प्रकारचे राजकारण न करता सत्ताधारी व विरोधक यांनी एकत्र येत शाळा व्यवस्थापन समितीची निवड शांततेत पार पडली. यावेळी शाळा व्यवस्थापन समितीच्या अध्यक्षपदी उद्धव सुरेश शेळके यांची तर उपाध्यक्षपदी पत्रकार संदिप सुभाष आसने व ललिता सचिन उमाप यांची तर सदस्य पदी सुदाम बापूसाहेब आसने, रामनाथ सोमनाथ आसने, सचिन बाबासाहेब आसने, दिपक रमेश आसने, किरण भास्कर शिंदे, नितीन खाजेकर, गोरख शंकर गुढेकर, प्रवीण मच्छिंद्र साळवे, मनिषा प्रवीण आसने, तेजस्विनी शिवाजी आसने, सुमन दादासाहेब आसने, सुरभी अमोल दांगट, आरती गणेश आसने, सविता गणेश मोरे, सचिवपदी मुख्याध्यापक देविदास मुंतोडे यांची निवड करण्यात आली. निवडीनंतर माजी अध्यक्ष जालिंदर आसने यांचा सत्कार करण्यात आला, तसेच नविनर्वाचीत पदाधिकाऱ्यांचा शाळेच्या वतीने सत्कार करण्यात आला. यावेळी ग्रामपंचायत उपसरपंच श्याम आसने, सदस्य नानासाहेब आसने, सदाशिव आसने, संजय खताळ, सुनिल आसने, अंकुश आसने, रविंद्र आसने, बाळासाहेब आसने, दिनेश आसने, महेंद्र आसने, भाऊसाहेब नेमाने, सोमनाथ मोरे, प्रदीप आसने, अनिल आसने, गणेश आसने, अमोल आसने, गौरव आसने, साहेबराव भोंडगे, बबन आसने, मंगेश साळवे, अमोल दांगट, संदीप बोरुडे, दत्तात्रय आसने, हरी गाढे, अनिल मोरे, शशी आसने, पिंटू अनुसे, राणी गाढे, मनीषा आसने, सौ. मोरे, शाळेच्या शिक्षिका रंजनाताई बोर्डे मॅडम, सुनिता तोडमल मॅडम, संगीता साळवे मॅडम, मारिया साळवे मॅडम, स्वाती बोबडे मॅडम, बहिरु धोंगडे सर, श्रीकृष्ण शेळके सर, सुनील पाचपिंड सर यासह आदी माता पालक मोठ्या संख्येने उपस्थित होते.

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एमपीएससी,युपीएससी स्पर्धा परिक्षा अभ्यास केंद्र तयार करणे बाबत खा. राजाभाऊ वाजे यांना निवेदन


एमपीएससी,युपीएससी स्पर्धा परिक्षा अभ्यास केंद्र तयार करणे बाबत खा. राजाभाऊ वाजे यांना निवेदन

- नाशिक - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
मध्य विधानसभा परिक्षेत्रात एमपीएससी,युपीएससी स्पर्धा परिक्षा अभ्यास केंद्र तयार करणे बाबत, नाशिककर मुख्यत्वे मध्य विधानसभा परिक्षेत्र नागरीकांच्यावतीने खासदार राजाभाऊ वाजे यांना निवेदन देण्यात आले. 
         सदरील निवेदनाद्वारे विनंतीवजा मागणी करण्यात आली आहे की,आमच्या मध्य विधानसभा क्षेत्रात जुने नाशिक, नागजी, व वडालागांव हे घनदाट लोकवस्ती असलेले क्षेत्र आहे व मुख्यत्वे याच परिसरात मध्य विधानसभा क्षेत्रातील दाट लोकवस्ती असल्याने कष्टकरी, मध्यमवर्गीय लोकांची संख्या लक्षणीय आहे, येथील नागरीकांना दैनंदिन जिवनात लागणाऱ्या गरजेंबरोबरच आर्थिक व शैक्षणिक सुविधांसाठीही खुप तडजोड व मेहनत घ्यावी लागते आहे.
केवळ फक्त शिक्षणाविषयी बोलायचे झाल्यास याबाबत येथील नागरीकांकडे पुरेश्या साधनसामुग्री व पर्याय उपलब्ध नाहीत. करीता ज्या प्रमाणे आपण सिन्नर येथे लोकनेते शंकररावजी वाजे वाचनालय तयार करुन तेथील शेतकरी, कष्टकरी वर्गाच्या विद्यार्थ्यांना सदरील बाबी मार्ग उपलब्ध करुन दिला आहे. त्याच धर्तीवर आम्हालाही स्पर्धा परिक्षा अभ्यास केंद्र एमपीएससी, युपीएससी स्टडी सेंटर करुन द्यावे अशी विनंती ही शेवटी या निवेदनात करण्यात आलेली आहे.
         या निवेदनात पुढे म्हटले आहे की, युपीएससी, एमपीएससी स्टडी सेंटर अशा प्रकारच्या सुविधा उपलब्ध झाल्यावर आम्हाला विश्वास आहे की, लवकरच आम्ही आमच्या विभागातून देशासाठी व राज्यासाठी आपल्या सेवा प्रदान करण्यासाठी सक्षम व देशात आपल्या शहराचा नावलौकिक करणारे उत्कृष्ट अधिकारी देऊ करीता आमच्या या निवेदनाला स्विकरुन आम्हाला लवकरात लवकर अख्ख्या महाराष्ट्राला हेवा वाटेल असे वाचनालय,स्टडी सेंटर तयार करुन द्यावे. अशी मागणीही शेवटी करण्यात आली आहे.
याप्रसंगी माजिद पठाण समवेत अल्ताफ शेख, कलविंदर गरेवाल,गौसिया बाजी शेख, शकिल चाचा शेख, अरशीया शेख, वसिम पठाण आदि उपस्थित होते.

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*वृत्त विशेष सहयोग*✍️✅🇮🇳...
पत्रकार माजिद खान, नाशिक 
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पर्यटन जागतिक शांतता आणि सहचर्याचे साधन


पर्यटन हे जगातील महत्त्वाचे आर्थिक क्षेत्र आहे. जागतिक स्तरावर प्रत्येक दहा व्यक्तींमागे एकाचा रोजगार हा पर्यटनावर अवलंबून आहे. जागतिक स्तरावर मानवाच्या आर्थिक उन्नतीसाठी पर्यटन महत्त्वाचे ठरू शकते. वर्ल्ड ट्रॅव्हल ॲण्ड टूरीझम डेव्हलपमेंट इन्डेक्स अहवालात पर्यटनाशी संबंधित विविध पैलूंवर विचार करण्यात आला आहे. मात्र बहुतांशी ही बाजू आर्थिक आहे, त्यापलीकडे जावून वैश्विक समाजाला एकत्र आणण्याच्या पर्यटनाच्या महत्त्वाच्या भूमिकेचाही विचार करणे गरजेचे आहे.
मात्र त्यासोबतच जागतिक शांतता आणि परस्पर संबंध दृढ करण्यासाठी पर्यटन महत्त्वाचे साधन आहे. पर्यटनाच्या माध्यमातून परस्पर सामंजस्य निर्माण होते, सकारात्मक संवाद होतो आणि हीच बाब शांतता प्रस्थापित करण्यास कारणीभूत ठरते. लोकांनी लोकांसाठी चालविलेला हा व्यवसाय रुढी - परंपरांना आव्हान देत नवे संबंध प्रस्थापित करण्यास कारणीभूत ठरत आहे. जागतिक पर्यटन दिनाच्या निमित्ताने हीच बाब जगासमोर मांडण्याचा प्रयत्न होणार आहे. यावर्षी जागतिक पर्यटन दिन ‘पर्यटन आणि शांतता’ या संकल्पनेवर आधारित साजरा करण्यात येणार आहे.
शाश्वत पर्यटनामुळे रोजगाराची निर्मिती होते आणि ते सामाजिक स्थैर्यासाठी उपयुक्त ठरते. संस्कृती आणि नैसर्गिक संपदेच्या रक्षणात पर्यटनाची महत्त्वाची भूमिका आहे. शांततापूर्ण सहअस्तित्वासाठी ही बाब उपयुक्त ठरते. परदेशी पर्यटन भारतातील धार्मिक स्थळांना भेटी देतात, विविध सण - उत्सवात सहभागी होतात, विविध प्रकारच्या स्थानिक खाद्यपदार्थांचा आनंद घेतात. तात्पर्य, ते काही काळासाठी आपल्यात मिसळून जातात, भारतीय समाजाशी एकरूप होण्याचा प्रयत्न करतात. हीच बाब भारतीय पर्यटक परदेशात गेला की अनुभवयाला मिळते. देश आणि राज्यांच्या सीमांच्या पलीकडे एक नवे नाते यामुळे निर्माण होत असते.
पर्यटन नवकल्पना आणि नावीन्यतेला समोर आणत असते, त्यातून नव्या व्यवसायांची निर्मिती होते. कोकणात ‘ट्री हाऊस’ सारखी संकल्पना वापरून पर्यटनाला चालना देण्याचे प्रयत्न पहायला मिळतात. जिल्ह्यात कृषी पर्यटनातही नवे प्रयोग होत आहेत. काही ठिकाणी तेथील स्थानिक खाद्य, सांस्कृतिक परंपरांच्या आधारे पर्यटनाला चालना देण्यात येते. नव्या सृजनाच्या माध्यमातून पर्यटकांना आकर्षित करण्याचे प्रकार अलीकडच्या काळात वाढले आहेत. त्यातून आर्थिक स्थैर्य, शाश्वत विकास आणि परिणामत: शांततेसाठी अनुकूल वातावरण निर्माण होण्यास चालना मिळते. युवकांमध्ये असलेल्या सर्जनशिलतेचा आणि ऊर्जेचा उपयोग करून पर्यटन क्षेत्रात असे अनुकूल बदल घडवून आणता येतील.
सांस्कृतिक स्तरावरील शांततेचा विचार करता पर्यटक आणि पर्यटन व्यावसायिक यातील सुसंवाद महत्त्वाचा असतो. दोन्ही बाजूने एक समान पातळीवर विचार झाल्यास एकमेकांना समजून घेता येते आणि त्यातून चांगले संबंध दृढ होतात. एखाद्या ठिकाणी पर्यटकांना वारंवार जावेसे वाटणे हा तेथील पर्यटन व्यावसायिकांच्या उत्तम संवाद कौशल्य आणि सामंजस्यपूर्ण भूमिकेचे एकप्रकारे यश असते. शिवाय भिन्न संस्कृतीच्या व्यक्ती समोर आल्यावर एकत्वाची भावनाच त्यांच्यात परिणामकारक संवाद घडवून आणू शकते.
अतिथ्यशिलता हे भारतीय समाजाचे वैशिष्ट्य आहे. त्यामुळे भारतात येणारा पर्यटक एखाद्या कुटुंबात वावरल्यासारखा पर्यटनाचा आनंद घेत असतो. मात्र, इथे येणाऱ्या पर्यटकाला त्याचा प्रत्येक क्षण आनंदात घालवता येईल, समस्यांचा सामना करावा लागणार नाही, त्याची फसवणूक होणार नाही, त्याला प्रत्येक क्षणी सुरक्षित असल्याचा अनुभव येईल असे वातावरण देणे ही आपली जबाबदारी आहे. पर्यटन व्यवसायाचा विस्तार आणि त्यातून आंतरराष्ट्रीय पातळीवर आपली वेगळी ओळख प्रस्थापित करण्यासाठी हे महत्त्वाचे आहे.
देशाची सीमा ओलांडून जाणारा पर्यटक एकप्रकारे त्या देशाचा सांस्कृतिक दूत किंवा शांतता दूत म्हणून दुसऱ्या देशात जात असतो. पर्यटनाच्या माध्यमातून अशा भिन्न संस्कृतीचे आदान प्रदान होत असते. त्यामुळे एकमेकांना समजून घेण्याची संधी असते. पर्यटन क्षेत्रातील विविध घटकांनी एकत्र येऊन या संधीचे सोने कसे करता येईल आणि परस्पर सहकार्यातून पर्यटन व्यवसाय हा विविध सीमा, संस्कृती,भाषा यांना जोडणारा दूवा कसा होईल याचा विचार पर्यटन दिनाच्या निमित्ताने केल्यास हा व्यवसाय वाढण्यासोबत पर्यटनाच्या माध्यमातून जागतिक शांततेचे उद्दिष्टाकडे सकारात्मक वाटचाल करण्यास मदतच होईल.

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संयुक्त राष्ट्र जागतिक पर्यटन संघटनेची स्थापना २७ सप्टेंबर १९७० रोजी झाली. स्थापनेचा दहावा वर्धापन दिन साजरा करतांना १९८० मध्ये स्पेन येथे पहिला जागतिक पर्यटन दिन साजरा करण्यात आला. शाश्वत पर्यटनाला चालना देण्यासाठी २०१७ मध्ये आंतरराष्ट्रीय पर्यटन वर्ष साजरे करण्यात आले. जागतिक पर्यटन दिनानिमित्त आतापर्यंत पर्यटन आणि हरित गुंतवणूक, पर्यटन आणि समावेशक विचार, पर्यटन आणि रोजगार, पर्यटन आणि सामाजिक विकास अशा विविध ४४ संकल्पनांबाबत जागतिक पातळीवर चर्चा घडवून आणली गेली.
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Tuesday, September 24, 2024

विद्यानिकेतनमध्ये पद्मभूषण डॉ. कर्मवीर भाऊराव पाटील जयंती उत्साहात साजरी


- श्रीरामपूर - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
येथील स्व. रावसाहेब शिंदे प्रतिष्ठान संचलित विद्यानिकेतन इंग्लिश मिडीयम स्कूल, स्टेट बोर्डमध्ये पद्मभूषण डॉ. कर्मवीर भाऊराव पाटील यांची १३७ वी. जयंती उत्साहात साजरी करण्यात आली. यावेळी विद्यालयाचे प्राचार्य विनोद रोहमारे यांच्या हस्ते डॉ.कर्मवीर भाऊराव पाटील यांच्या प्रतिमेस पुष्पहार अर्पण करण्यात आला.
प्रसंगी त्यांनी 'कर्मवीरांचे जीवन व त्यांचे शैक्षणिक कार्य, याविषयी विद्यार्थ्यांना माहिती दिली. तसेच विद्यार्थ्यांमधून चि.सार्थक भाटिया (इ.दहावी) व सहशिक्षिका सुप्रिया बाबरस यांनी आपले मनोगत व्यक्त केले. 
यावेळी कार्यक्रमास विद्यालयाचे चेअरमन माजी प्राचार्य टी.ई. शेळके, व्हा.चेअरमन डॉ. प्रेरणाताई शिंदे, खजिनदार डॉ. राजीव शिंदे, प्राचार्य विनोद रोहमारे, उपप्राचार्या भारती कुदळे, समन्वयक मंगेश साळुंके, मनिषा उंडे, राजश्री तासकर, सुनंदा थोरात तसेच शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी आदींनी शुभेच्छा दिल्या.
*वृत्त विशेष सहयोग*
शंकर बाहुले (सर) श्रीरामपूर 
*संकलन*
समता न्यूज सर्व्हिसेस श्रीरामपूर -९५६११७४१११