एक सीन… जो कभी फिल्माया ही नहीं गया
शोले के क्लाइमेक्स की शूटिंग चल रही थी। ठाकुर, गब्बर और बदले की आग—सब कुछ तैयार था। रमेश सिप्पी ने जो एंड लिखा था, वो आज शायद बहुत कम लोग जानते हैं। उस ओरिजिनल एंडिंग में ठाकुर, गब्बर को पुलिस के हवाले नहीं करता था… बल्कि अपने हाथों से उसे मार देता था।
सीन की शूटिंग पूरी भी हो गई। कैमरे बंद हुए, यूनिट में सन्नाटा छा गया। अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र भी कुछ देर तक कुछ बोल नहीं पाए। सबको लगा—ये सीन बहुत भारी है, बहुत कड़वा है, लेकिन कहानी के हिसाब से सच्चा।
मगर तभी सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जता दी। उनका कहना था—कानून अपने हाथ में लेना गलत संदेश देगा। रमेश सिप्पी टूट से गए। महीनों की मेहनत, एक दमदार क्लाइमेक्स… सब बेकार होता दिख रहा था।
लेकिन फिर वही हुआ जो शोले की कहानी में बार-बार हुआ था—हार नहीं मानी गई। एंड बदला गया। ठाकुर ने गब्बर को पुलिस के हवाले कर दिया।
आज सोचिए… अगर वो एंड रिलीज़ हो जाता, तो शायद शोले क्लासिक तो बनती, लेकिन परिवारों के साथ बैठकर देखी जाने वाली फिल्म नहीं बन पाती।
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