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Wednesday, October 2, 2024

गांधी जयंती पर मानवाधिकार परिषद भारत द्वारा जालंधर शहर में मनाया गया स्वच्छ भारत अभियान।


चन्द्रकान्त सी पुजारी
जालंधर पंजाब (भारत) 
आज पंजाब के जालंधर में मानव अधिकार परिषद भारत द्वारा 2 अक्टूबर गांधी जयंती एवं स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छता दिवस मनाया गया जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष आरती राजपूत शामिल हुई पंजाब अध्यक्ष डॉ राहुल जमवाल संस्था के डायरेक्टर अश्विनी कुमार जालंधर प्रधान आनंद शर्मा पंजाब सेक्रेटरी इंद्रजीत चावला मीडिया सेल से सरीन जी एंटी क्राइम सेल से गुलशन अरोड़ा जी ,आरती कपूर, लखविंदर कौर आदि शामिल हुए आज संगठन ने सफाई कर्मचारियों को सम्मानित किया। एवं म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के कमिश्नर श्री गौतम जैन को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया ।संस्था ने स्वच्छता दिवस के अंतर्गत अंबेडकर पार्क की सफाई की और यह प्रण लिया कि हमारा संगठन हर किसी को स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करेगा

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नवरात्री धार्मिक तरीके से ही होनी चाहिए हमे त्योहारों की पवित्रता नहि खोनी चाहिए




- लेखक - प्रतिक -/ संघवी -
 राजकोट (गुजरात)

> ज्यादातर शहरों में नवरात्री और धर्म के नाम पर नाच गान और असभ्य डांस का प्रभाव बढ़ गया हे।

> ऐसे आयोजनों में आप केवल एक नंबर ही हो।और वह आपका उपयोग करने वाले ठेकेदार!

> 40 साल तक महिलाएं या लड़कियों को पास फ्री यह क्या साबित करता हे।?!

> पारंपरिक नवरात्री में माताजी की स्थापना बीच में होती है ।

> इसमें चप्पल , बूट , पानी की बॉटल और स्त्री की इज्जत दुपट्टा बीच में रखते है ।

> धर्म में कभी दिखावा नहीं होता और दिखावा हो वो धर्म नही होता

> धर्म कभी भी नष्ट नही होता लेकिन मान्यता बदल कर वो परिवर्तित हो जाता है जो धर्म नही रहता।

आजकल एक बहुत बड़ा दिखावे का धर्म चलाया जा रहा है। जिसमे मूल धर्म और उस त्योहारों की महिमा को नष्ट कर एक अपनी ही मोजशोख की लालच को धर्म का रूप दे दिया गया है। जिसमे ज्यादातर युवाओं और समाजिक आगेवान और धर्म के ठेकेदार शामिल हो रहे हे। अभी अभी जो नवरात्री आई है उसमे आपको यह साफ देखने को मिलेगा। जहा ज्यादत्तर माताजी की स्थापना , अर्चना , पूजा पाठ शक्तियों को ग्रहण करना और त्याग और तप की भावनाओं को तार तार कर सिर्फ नाच गान चलेगा यह ज्यादातर बड़े बड़े शहरों की बात हो रही है। और उसमे भी वेस्टर्न कल्चर आ गया है हमारे गुजरात में चनिया चोली पहने यह डांस करते हैं लेकिन मर्यादा के लिए रखी चुनी को यहां ज्यादातर लोग ने गायब ही कर दिया जो आपको सोशीयल मीडिया की रील्स में दिख जाएगा।और अब तो ज्यादातर शहरों में धर्म के नाम पे माताजी के नाम पे 11 या 12 दिन तक यह नग्न नाच चलता है। जिसमे न तो मान मर्यादा का पता रहता है और न कोई धर्म कर्मका और नही तो त्योहारों के मूल रूप और उसके महत्व का इन लोगो के लिए त्योहारों बस सिर्फ और सिर्फ मोज सोख के लिए आते है ।
यहाँ बहुत सारी जगह पे पास सिस्टम चालू हो गई है जिसका भाव 1200 से लेकर 15000 तक रहता है। जिसमे खाने पीने और खेलने की सुविधा दी जाती है। जिसमे आयोजक , सरकार और केटर्स वाले बहुत अच्छा कमाई कर लेते है। लेकिन इसके पीछे धार्मिक आस्थाएं जुड़ी रहती है। सब लोग अपने अपने जात को लेकर अब यह नवरात्री का त्योहार मनाने लगे है। हालाकि किसिभी माताजी की पूजा अर्चना में कही भी कोई जात पात का उल्लेख नहीं है। वहा अधर्म और असुरों का नाश और धर्म को मजबूत बनाने का ही उल्लेख है। उससे भी ज्यादा आगे बढ़े तो कितने पास में यह साफ उल्लेख है की 12 से 40 साल तक की लड़की या महिला को पास फ्री?!! या कही जगह ऐसा हे की महिला को पास फ्री और ज्यादातर जगह महिलाओं का पास का रेट कम है। इसका सीधा अर्थ क्या निकलता है की जितनी इस उम्र की स्त्री सामिल होंगी उतने सामने दूसरे लोग ज्यादा सामिल होंगे। इसके अलावा इसका कोई उपयोग नहीं। और हमारी कुछ कुछ अति अंध भक्ति में लीन प्रजा इसमें शामिल भी हो जाती है और उससे भी ज्यादा यह अपने शोख को ही धर्म बना लेती हे। और कही आयोजनों में तो कोई दूसरे धर्म की लड़की आ सकती है लेकिन लडको को ने एंट्री यह कोन सा नियम है यह आप लोग समझ ही गए होंगे। और इन सब जो ऐसे आयोजनों में सामिल होते है इन सब लोगो से में यह प्रार्थना करता हु के आप सिर्फ अपने धर्म और माताजी को पहले जानिए उसको मानिए उसके सिद्धांत और उसके ऊपर से बनाए गए इस पर्वो की महत्व को समझिए उसका तमाशा मत बनाए।

पहले और अभी भी पारंपरिक रास में जो गुजरात की धरोहर और पूर्णत धार्मिक है वो 10 से 12 वजह तक ही चलते हे। जिसमे बीच में माताजी के गढ़ की स्थापना होती हे और आस पास लड़किया और लड़के भी शामिल हो तो अलग अलग उन स्थापित माताजी के आस पास घूम के और उसके अनुरूप ही रास या गरबा गा कर उसकी भक्ति और आराधना करते हे। एक से एक बहतर रास प्रस्तुत करते हे जैसे मसाल रास, तलवार रास , डोरी रास और कितने ऐसे रास और गरबे पूरे पारंपरिक वेशभूषा से चले आ रहे हे और लोग उसे देखने आते है।
लेकिन यह जो पास सिस्टम रखी है वहा माताजी साइड में एक मंडप के पास रहते हे पहले 5 या 10 मिनिट उसकी आरती होती है। बाद में यह डिस्को और दिखावा चलाया जाता है। जिसमे न तो गरबा रहता है न तो परंपरा । वहा सब अपने हिसाब से ग्रुप में सर्कल बनाके डांस करते हे एक दूसरे के दिखावे की स्पर्धा करते हे। और वह ग्रुप के सर्कल में माताजी की जगह इन लोगो के जूते , चपल, पानी की बॉटल और पर्स की स्थापना होती हे। कही कही जगह तो वहा स्त्री की आबरू यानी की दुप्पटा बीच में रहता है। और उनके आसपास उनके ही लोग यह डांस और नाच गान करते हे।
*धर्म कर्म निश्चित करो सुनके समय पुकार*
*आया यहा किसलिए यह तो करो विचार*

अब आप सबको यह सोचना है की आप धर्म के पक्ष में है या उसको नष्ट करने के पक्ष में या उसको साथ देनेवाले पक्ष में और दूसरा की यह भी सभी गावो और शहरों में कई जगह अभी भी पारंपरिक रूप से रास होते है गरबे घूमते है। और कई कई संस्थाएं ऐसी भी हे जो इन परंपरा को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है और जो भी शहर के अपने मोहल्ले में ऐसी पारंपरिक गरबीया करवाना चाहता हो उसे वह सभी रूप से मदद भी करते है। यानी की उसको स्टेप सिखाना , लाइटिंग और साउंड और गानेवाले की भी वह व्यवस्था कर देते है। जो इस कलियुग में अधर्म के पड़ते भारी प्रभाव के बीच भी एक जीती जागती मिसाल है और में और सभी सनातनी उस सब आयोजको को तहे दिल से वंदन करते हे।

अब हमे यही करना है की अगर आप धर्म के पक्ष में हे तो हमे आज से यह प्रण लेना है की
1. हम अपने आप को इन पवित्र दिन के अनुसार शास्त्रोक्त विधी ओ को फॉलो करेंगे।
2. हम ऐसे अधर्म के आयोजन में सामिल नही होंगे।
3. जहा भी मौका मिले वहा हम इस अधर्म का अपनी शक्ति के हिसाब से विरोध करेंगे।
4. हम हररोज सोसीयल मीडिया में ऐसी पोस्ट का विरोध जारी रखेंगे।
5. अगर कहीं भी अश्लील आयोजन धर्म के नाम पे होता है हम उसकी शिकायत करेंगे। 
हमे यह भी पता होना चाहिए की हमारे धर्म को कोई मिटा नही सकता लेकिन हमारे धार्मिक मान्यताएं बदल कर मूल धर्म से दूर किया जा सकता है। और ऐसा हम हरगिज नहीं करेगे और दूसरो को भी सही राह दिखाएंगे। 
याद रखना मेरे दोस्तो की कोईभी धर्म में कहीं भी दिखावा नहीं होता और जहा दिखावा होता है वहा धर्म नही होता। क्योंकि हमारे ऋषि मुनि भी तपस्या करने के लिए धर्म को पाने के लिए एकांत वास ही पसंद करते थे। तो हम भी अपने से हो सके उतनी माताजी की पूजा , अर्चना आराधना करके अपनी शक्तियों को आत्मसात करे और गलत दिखावे से दूर रहे।
जय माताजी।

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*लेख विशेष सहयोग*✍️✅🇮🇳...
चंद्रकांत सी पूजारी (गुजरात)
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गांधी जयंती के उपलक्ष्य में भाजपा मंडल 15 जालंधर शहर ने चलाया स्वच्छ भारत अभियान।




चन्द्रकान्त सी पुजारी
- जालंधर - पंजाब - वार्ता 
आज गांधी जयंती के उपलक्ष्य में भाजपा मंडल 15 शहरी ने मंडल 15 के मंडल प्रधान डॉ राहुल जामवाल,महामंत्री संतोष शर्मा, मंत्री आनंद शर्मा जे साथ स्टब भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया। अभियान की शुरुआत गांधी जी को पुष्प माला मंडल प्रधान डॉ. राहुल जामवाल ,और मंडल के मंत्री आनंद शर्मा द्वारा अर्पित की गई। मंडल महामंत्री संतोष शर्मा द्वारा विशेष रूप से इलाका निवासियों और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ स्वच्छ भारत अभियान इलाके की सफाई करके चलाया गया।इस अवसर पर प्रधान डॉ राहुल जामवाल ने कहा कि पूरे भारत वासियो को स्वच्छता का संकल्प लेना पड़ेगा। तभी देश साफ सुथरा बनेगा।सबको अपना आसपास और वातावरण साफ रखने का दायित्व उठाना पड़ेगा अगर ऐसा हो जाता है तो मात्र 6 महीने में देश साफ सुथरा हो जाएगा।महामंत्री संतोष शर्मा ने कहा कि अगर हमारा आस पास स्वच्छ रहेगा तो बीमारी भी नही फैलेगी।गांधी जी चाहते थे कि भारत देश दुनिया में सबसे स्वच्छ बने।

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Tuesday, October 1, 2024

अशोक आयडियल स्कूलचा संघ जिल्हा बॅडमिंटन विजेता

- श्रीरामपूर - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
माजी आ. भानुदास मुरकुटे यांच्या मार्गदर्शनाखाली सुरू असलेल्या अशोक सहकारी साखर कारखाना संचलित अशोक आयडियल स्कूलने नुकत्याच वाडिया पार्क येथे पार पडलेल्या १४ वर्षाखालील मुलांच्या जिल्हास्तरीय बॅडमिंटन स्पर्धेत विजेतेपद मिळविले असून विभागीय स्पर्धेसाठी या संघाची निवड झाली आहे.
             अशोक आयडियल स्कूलने उपांत्य फेरीच्या सामन्यात अमृतवाहिनी इंटरनॅशनल स्कूल संगमनेर व अंतिम सामन्यात विखे पाटील इंग्लिश मीडियम स्कूल, विळदघाट यांचा पराभव करून विजेतेपद पटकावले. या संघाची विभागीय पातळीवरील स्पर्धेसाठी निवड करण्यात आली. मागील वर्षीही अशोक आयडियल स्कूलने उपविजेतेपद मिळवले होते, अशी माहिती अशोक ग्रामीण शिक्षण संस्थेच्या कार्यकारी अधिकारी सौ.मंजुश्री मुरकुटे यांनी दिली. विजेत्या बॅडमिंटन संघाचा कर्णधार अशर शेख तसेच खेळाडू नील सूर्यवंशी व सुजय कांबळे यांचा माजी आ.भानूदास मुरकुटे यांच्या हस्ते सत्कार करण्यात आला. याप्रसंगी श्री.मुरकुटे यांनी विद्यार्थ्यांना मार्गदर्शन केले. ते म्हणाले की, खेळाद्वारे देखील विद्यार्थी आपले करिअर बनवू शकतात व खेळाडूंसाठी महाविद्यालयात तसेच नोकरीसाठी देखील शासकीय जागा आरक्षित असतात. त्यामुळे खेळाद्वारे आपण आपले भवितव्य घडवू शकतो. अशोक शैक्षणिक संकुल हे नेहमीच खेळांना प्राधान्य देते. यावेळी मॉर्निंग व्हॉलीबॉल ग्रुपचे सदस्य उपस्थित होते. 
                विजेते खेळाडूंचे तसेच क्रीडा शिक्षक राजू दुधाने, प्राचार्य रईस शेख यांचे अशोक कारखान्याचे चेअरमन माजी आ.भानुदास मुरकुटे, व्हा. चेअरमन हिम्मतराव धुमाळ, अशोक ग्रामीण शिक्षण संस्थेचे अध्यक्ष कोंडीराम उंडे, उपाध्यक्ष योगेश विटनोर, ॲग्रो इंडस्ट्रीज एज्युकेशन व डेव्हलपमेंट फाउंडेशनचे अध्यक्ष सोपानराव राऊत, उपाध्यक्ष बाबासाहेब आदिक, सचिव वीरेश गलांडे, संचालिका सौ.मंजुश्री मुरकुटे, अ. नगर रा.यु.काँ. माजी जिल्हाध्यक्ष सिद्धार्थ मुरकुटे, कार्यकारी संचालक संतोष देवकर, संचालक मंडळाने अभिनंदन केले आहे.

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धिरज चेचरे यांना पी.एच.डी.प्रदान


- लोहगांव - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
राहाता तालुक्यातील लोहगांव येथील धीरज दत्तात्रेय चेचरे यांनी फार्मास्युटिकल सायन्सेस या विषयांमध्ये भगवंत फार्मास्युटिकल अजमेर (राजस्थान) येथे पी.एच.डी. ही पदवी मिळवली ते सध्या प्रवरा कॉलेज ऑफ फार्मसी चिंचोली ता. सिन्नर (नाशिक) येथे प्राध्यापक ह्या पदावर सेवेत आहे.
 त्यांना डॉ. सिद्धया यांचे मार्गदर्शन लाभले त्यांच्या या यशाबद्दल नामदार राधाकृष्ण विखे पाटील, माजी मंत्री आण्णासाहेब म्हस्के पाटील .जिल्हा परिषदेच्या माजी अध्यक्षा शालिनीताई विखे पाटील. डॉ.सुजय दादा विखे पाटील, डॉ. राजेंद्र विखे पाटील, प्रा.डॉ.व्ही.डी.तांबे.यांनी अभिनंदन केले व भावी वाटचालीस शुभेच्छा दिल्या आहेत.


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पत्रकार कोंडीराम नेहे - लोहगांव 
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सर्वच विद्याशाखांमध्ये मराठी भाषा सक्तीची व्हावी : डॉ. अविनाश आवलगावकरपुणे येथे मराठी विषय महासंघाचे एकदिवसीय मार्गदर्शन शिबीर संपन्न


- पुणे - प्रतिनिधी -/ वार्ता -
सध्याच्या काळात मराठी भाषा ही व्यवहारापुरती शिल्लक राहिली असून भाषा ही जगण्याचे साधन आणि जगण्याचा कणा आहे. पुतळ्यांच्या पूजना ऐवजी विचारांची संस्कृती रुजवली जावी. त्यातून मराठी भाषेला प्राधान्य द्यावे. मराठी भाषा सर्वच विद्याशाखांमध्ये सक्तीची व्हावी, अशी अपेक्षा डॉ. अविनाश आवलगावकर यांनी केले. 
पुणे येथील आबासाहेब गरवारे महाविद्यालयात कनिष्ठ महाविद्यालयीन मराठी विषय महासंघाच्या वतीने एकदिवशीय राज्यस्तरीय जिल्हा प्रतिनिधी मार्गदर्शन शिबिराचे नुकतेच आयोजन करण्यात आले होते. या शिबिराचे उद्घाटन अमरावती येथील मराठी भाषा विद्यापीठाचे प्रथम कुलगुरू डॉ. अविनाश आवलगावकर यांच्या हस्ते ग्रंथाला पुष्प वाहून संपन्न झाले. कार्यक्रमाचे प्रास्ताविक व स्वागत सचिव बाळासाहेब माने यांनी केले. यावेळी महाराष्ट्र एज्युकेशन सोसायटीचे सचिव सुधीर भोसले, मराठी महासंघाचे राज्य अध्यक्ष प्रा. सुनील डिसले, कार्याध्यक्ष डॉ. मनीषा रिठे, सचिव बाळासाहेब माने यांच्यासह राज्य कार्यकारिणीचे उपाध्यक्ष डॉ. ज्ञानेश हटवार, डॉ. प्रतिभा बिस्वास, सहसचिव बापू खाडे समन्वयक डॉ. राजेंद्र सोनवणे, कोषाध्यक्ष दिलीप जाधव, प्रा. संजय लेनगुरे, सल्लागार विजय हेलवटे, संजय पाटील, नीता खोत, डॉ. अंजना खताळ, प्रकाश अंकुश यांच्यासह महाराष्ट्रातील ३५ जिल्ह्यांचे जिल्हा प्रतिनिधी उपस्थित होते. दुपारच्या सत्रात मराठी विषय शिक्षकांच्या विविध समस्या आणि उपाययोजना या विषयावर चर्चा संपन्न झाली. महासंघाचे अध्यक्ष सुनील डिसले, कार्याध्यक्ष डॉ. मनीषा रिठे, सचिव बाळासाहेब माने यांच्या हस्ते जिल्हा प्रतिनिधींना नियुक्ती पत्र देऊन सन्मानित करण्यात आले. यावेळी अध्यक्षीय भाषणातून प्रा. सुनील डिसले यांनी मराठी भाषा आणि तिच्या संवर्धनासंबंधी शिक्षकांना मार्गदर्शन केले. मार्गदर्शन शिबिर यशस्वी होण्यासाठी समन्वयक डॉ. पांडुरंग कंद व पुणे जिल्ह्यातील कार्यकारणीतील सर्वच सदस्यांनी विशेष परिश्रम घेतले. कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन डॉ. पांडुरंग कंद यांनी केले तर आभार डॉ. मनीषा रिठे यांनी मानले.

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डॉ.शरद दुधाट- श्रीरामपूर 
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Monday, September 30, 2024

आनंद होई भाविक जना - येता माळेचा महिना


*आनंद होई भाविक जना - येता माळेचा महिना*


दरवर्षी कॅथोलिक भाविक ऑक्टोबर महिन्यामध्ये मारिया मातेची विशेष प्रार्थना करून पवित्र माळेची भक्ती करतात म्हणून या महिन्याला "पवित्र माळेचा महिना" असे संबोधले जाते. याबद्दल अधिक माहिती वाचकांपर्यंत पोहोचवण्याच्या दृष्टीने केलेला हा लेखन प्रपंच...

मानवी आयुष्य स्वर्गीय पिता तारणाने प्रकाशमय करणार हे निश्चित होते. त्यासाठी परमेश्वर त्याचा एकुलता एक पुत्र मानवी रूपाने या भूतलावावर पाठविणार होता. ही योजना पवित्र आत्म्याद्वारे पूर्ण होणार होती परंतु ; गरज होती ती माध्यमाची. एका पवित्र कुमारीकेची. निष्कलंक, पाप विरहित, धार्मिक आणि देवाच्या सानिध्यात रमणाऱ्या स्त्रीची.
 पवित्र आत्म्याच्या योगाने गर्भवती राहून विश्वाच्या तारकाला जन्म देणारी अशी सर्व गुण संपन्न कुमारीका पवित्र मारिया हिची या कामी निवड करण्यात आली म्हणून तारण कार्यात ती सतत सहभगी असते असा भाविक विश्र्वास धरतात. तीच्या ठायी पिता, पुत्र आणि पवित्र आत्म्याचा सहवास असतो. तीच्या ठायी पवित्र आत्मा असल्यामुळेच ती सामान्य असूनही असामान्य ठरली यामुळेच ती सन्मानास पात्र आहे.
दावीद कुळातील संत अन्ना व जोकीम या अत्यंत धार्मिक दांपत्याच्या पोटी पवित्र मारियेचा जन्म झाला. खरंतर अन्ना व जोकीम यांच्या वृद्धपकाळात देवाने दिलेले कन्यारत्न म्हणजे पवित्र मरिया होय. 
देवाच्या योजने करवी ती प्रभुची माता व प्रभूने योहानाच्या खांद्यावर दिलेल्या जबाबदारीमुळे ती संपूर्ण विश्वाची माता झाली.
आज जगभर पवित्र मरियेची मध्यस्थी लाभावी म्हणून कॅथोलिक ख्रिस्ती भाविक मनोभावे तिच्याकडे प्रार्थना करतात. भाविकांना तिची मध्यस्थी लाभतेच याचे उत्तम उदाहरण म्हणजे काना गावचे लग्न होय. वधु पित्याची निंदा नालस्ती होऊ नये म्हणून द्राक्षरस संपलेला आहे, ही बाब लक्ष्यात येताच तिने त्याच लग्नात उपस्थित असलेल्या आपल्या पुत्राकडे (प्रभू ख्रिस्ताकडे) मध्यस्थी केली आणि ख्रिस्ताने पाण्याचा द्राक्षरस केला, वधू पित्याची होणारी निंदा टळली. तारण कार्यातील तिची सहभागीता, दैवी योजनेच्या पूर्णत्वासाठी तिची झालेली निवड, सामान्यत्वाकडून असामान्यत्वाकडची वाटचाल, पवित्रात्म्यसह तिचा एकूण प्रवास तिला सन्मानास पात्र ठरवतो. 
तिच्या सन्मानार्थ साजरा होणारा सोहळा म्हणजे माळेचा महिना होय.
ऑक्टोबर महिना जवळ येताच चाहूल लागते ती माऊलीच्या आगमनाची. ऐरवी पवित्र मारियेच्या भेटीसाठी चेन्नई, बांद्रा किंवा हरेगांव या व अशा अनेक भक्तिस्थळी भाविक धाव घेत असतात. तिची पवित्र मध्यस्थी मिळवून कृपाशीर्वादास पात्र ठरतात. प्रसंगी शेकडो किलोमीटरचा प्रवास, अलोट गर्दीचा सामना, वेळेचे व पैशाचे नियोजन या सर्व दिव्यातून जाऊन भाविक तिच्या मातृप्रेमाच्या अनुभूतीसाठी जात असतात परंतू ; हीच माता धन्यकुमारी पवित्र मारिया जेव्हा स्वतः भाविकाच्या दारी येते तेव्हा भाविकांना आभाळ ठेंगणे झाल्याशिवाय राहत नाही. ऑक्टोबर महिन्याच्या पहिल्या तारखेला मुख्य चर्च पासून निघालेली पवित्र मारियेची प्रतिमा धर्मग्रामातील वेगवेगळे विभाग, लहान ख्रिस्ती समूह व कुटुंबात माळेची उपासना करण्यासाठी नेली जाते.
यावेळी लहान ख्रिस्ती समूहासह ती आपल्या कुटुंबात अवर्णनीय आनंद घेऊन येते असा विश्वास भाविक धरतात.
 घराची स्वच्छता, सडा-रांगोळी, दारावरचे तोरण, तिला स्थानापन्न करावयाच्या जागेची सजावट, आलेल्या धर्मगुरू, धर्मभगिनी, प्रवचनकार व भाविकांचा यथोचित सन्मान या सर्व बाबींची पूर्तता करून माऊली भक्त तिच्या स्वागताची तयारी करतात.
दरम्यान ०१ ऑक्टोबर ते ३१ ऑक्टोबर अर्थात संपूर्ण महिनाभर चालणारा हा सर्वात मोठा उत्सव मानला जातो. 
लुककृत शुभवर्तमानाच्या पहिल्या अध्यायात सांगितल्याप्रमाणे "सर्व पिढ्या मला धन्य म्हणतील" हे शब्द वदलेल्या पवित्र मरियेची वैशिष्ट्यपूर्ण उपासना करण्याचा हा काळ होय.
आपल्या कुटुंबातील तिची अनमोल उपस्थिती व हर्षभरे होणारे तीचे भावपूर्ण स्वागत या अद्वितीय सोहळ्याचा आनंद भाविकांना नवचेतना देणारा असतो. माऊली भक्तांच्या श्रद्धेत वाढ करणारा असतो. प्रत्येक धर्मग्राम स्तरावर या संपूर्ण महिन्याचे नियोजन केले जाते. यावेळी धर्मगुरू, धर्मभगिनी व माऊली भक्तांच्या उपस्थितीत विविध विषयांवर प्रापंचिकांना प्रवचन करण्याची संधी दिली जाते. प्रापंचिक लोक विविध धार्मिक विषयांवरती अभ्यासपूर्ण प्रवचने सादर करतात.
पवित्र मारियेवरती निस्सीम श्रद्धा ठेवून भाविक तिची प्रेमळ मध्यस्थी मिळवीत असतात. कारण ती कृपादाने पावलेली धन्यकुमारी असून तारणाऱ्या प्रभू ख्रिस्ताची माता आहे. जर पवित्र शास्त्र सांगते की, "तू तुझ्या आई वडिलांचा मान राख" तर तारणाऱ्याच्या मातेचा मान राखणे व तिला सन्मान देणे अगत्याचे ठरते असे कॅथोलिक भाविक मानतात.
भाविकांच्या मनातील पवित्र मरियेच्या आगमनाचा आनंद वर्णन करताना मला अलिशिबा व मारियाच्या भेटीचा उल्लेख करावासा वाटतो. त्या दिवसात मारिया डोंगराळ प्रदेशातील यहुदा प्रांतातील एका गावात घाईघाईने गेली. यावेळी या दोघींची भेट झाली. भेट झाली त्यावेळी त्या दोघीही ईश्वर कृपेने मातृत्वाकडे वाटचाल करीत होत्या, गरोदर होत्या.
माऊली भक्तांच्या हृदयात भक्तीचा हा दीप तेवत ठेवण्या कामी व देव मातेच्या आगमनाच्या आनंदाची अनुभूती मिळविणे कामी अलिशिबाची भेट दिशादर्शक ठरते.
आपली मावस बहीण असलेल्या आलिशिबेकडे जेव्हा पवित्र मारिया जाते तेव्हा अलिशिबा भावुक होऊन म्हणते, "माझ्या प्रभूच्या मातेने माझ्याकडे यावे हा मान मला कोठून ?" तिचे घरी येणे ही जर तिच्यासाठी मानाची गोष्ट आहे तर आपल्यासाठी सुद्धा ही आनंदाची व मानाचीच गोष्ट आहे यात शंका नाही. तिची सुवर्ण पावले ही चमत्काराची द्योतक आहे. एकमेकींना अभिवादन केल्यानंतर अलिशिबा म्हणते, "तुझ्या अभिवादनाची वाणी माझ्या कानी पडतात माझ्या उदरातील बालकाने उल्हासाने उडी मारली आहे. ( लुक- १:४४)
कारण मारियेची ही भेट प्रभूसह होती. इतकेच काय तिच्या उदरातील बाळाने मारलेली उडी किंवा हालचाल साधारण हालचाल नव्हती तर प्रभू भेटीच्या आनंदाने मारलेली उडी होती. 
उडी मारणारे बालक सुद्धा साधारण नव्हते. देवाच्या पवित्र मंदिरात धूप जाळणाऱ्या, विश्वासू राहून परमेश्वराकडे आपत्य प्राप्तीसाठी रडणाऱ्या, जखऱ्या व अलिशिबेचा पुत्र तो योहान होता.
तीन महिन्यांनी मोठा असणारा, तो ख्रिस्ताचा मावस भाऊ ख्रिस्ताचा मार्ग नीट करून, त्याला बाप्तिस्मा देणारा संदेष्टा योहान होता.
प्रभूच्या मातेने व पोटातील लहानग्या प्रभूच्या येण्याने जो आनंद अलिशिबा व योहानाला झाला होता त्याचं आनंदाचा अनुभव प्रत्येकाला यावा म्हणून भाविक पवित्र मारियाकडे विशेष कृपा मागतात. 
संकट समयी आपल्या लेकरांसाठी सदैव धावून येणारी, सैरभर झालेल्या लेकरांसाठी प्रेमळ मध्यस्थी करून कृपा पुरविणारी, कुमारी असूनही पवित्र आत्म्याद्वारे देऊ केलेले मातृत्व कुरकुर न करता आनंदाने स्वीकारणारी, उदरातील बाळासह आपल्या नियोजित पती समवेत बेथलेमचा शेकडो किलोमीटरचा पायी प्रवास कष्टाने करणारी, बाळ येशूचे उत्तम संगोपन करून प्रेमळ आई ठरलेली, क्रुसावरील मरणापर्यंत बरोबर राहून आपल्या पुत्राचे वेदनादायी मरण उघड्या डोळ्यांनी पाहणारी, धैर्याने त्या प्रसंगाला सामोरे जाणारी, शिष्यांसमवेत पुनरूत्थित येशूला पाहण्याचे भाग्य लाभलेली, अंतिमतः येशूच्या तारण कार्यात सहभागी असणारी धन्यकुमारी पवित्र मारिया होय. 
  प्रेमळ, संयमी, धाडसी, संवेदनशील, कष्टाळू, विश्वासू, धार्मिक अशा पवित्र मरीयेला भाविक आपल्या घरीचं नव्हे तर आपल्या अंत:करणात निमंत्रित करतात.  
पवित्र मारियेची भक्ती करण्यासाठी ख्रिस्त महासभेने ठरवून दिलेला हा पवित्र माळेचा महिना सर्व माऊली भक्तांना आनंदाचा,मरीयेच्या पवित्र मध्यस्थीचा व विशेष ईश्वरी कृपेचा जावो हीच सदिच्छा.

"या पुढती जन सकल पिढ्यांतील म्हणतील मजला धन्य अती, कारण केली अद्भुत कृत्ये प्रभुरायाने मजसाठी !!"

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*लेखन:*
रवि त्रिभुवन,श्रीरामपूर +९१९६२३२८०९७८
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*संकलन*💐✅🇮🇳...
समता न्यूज सर्व्हिसेस, श्रीरामपूर +९१९५६११७४१११
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